देश – हरियाणा के तीन लालों के लाल क्यों नहीं कर पा रहे कमाल, दो परिवारों का CM सैनी के आगे सरेंडर – #INA

हरियाणा के तीन लाल, बंसीलाल, भजनलाल और देवीलाल। यह नारा राज्य में दशकों से दिया जाता रहा है। हरियाणा की राजनीति में तीनों लालों का बड़ा योगदान रहा है और मुख्यमंत्री रहे हैं। यही नहीं ताऊ देवीलाल की तो अब चौथी पीढ़ी सूबे की राजनीति में है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में हरियाणा के इन तीनों लालों के लाल यानी परिवार के लोग बहुत मजबूत स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। एक तरफ देवीलाल के परिवार में आपसी कलह का दौर है और उससे दो पार्टियां आईएनएलडी और जजपा अस्तित्व में हैं तो वहीं भजनलाल और बंसीलाल की विरासत भी अब पहले जितनी मजबूत नहीं दिख रही। इसका एक कारण हरियाणा की राजनीति में भाजपा का उभार भी है।

हालत यह है कि कभी सीएम पद के दावेदारों में रहे इन तीन परिवारों में से 2 ने तो अब शायद इसकी उम्मीद ही छोड़ दी है। बंसी लाल और भजन लाल के परिवारों ने तो सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है और अब वे भाजपा का हिस्सा हैं। उनका सीएम पद को लेकर कोई दावा नहीं है। इसी तरह इंडियन नेशनल लोकदल की हालत भी अब कमजोर है। देवीलाल के परिवार में अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला दो खेमे हैं। अभय आईएनएलडी के लीडर हैं तो वहीं दुष्यंत जननायक जनता पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।

भले ही तीन लालों में से देवीलाल का ही परिवार स्वतंत्र राजनीति कर रहा है, लेकिन खेमेबाजी के चलते सीएम पद को लेकर वे कोई दावा करने की स्थिति में नहीं हैं। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने तो कहा ही था कि वह सीएम नायब सिंह सैनी के साथ हैं। वह 2022 में भाजपा में आए थे और अब उनके बेटे को पार्टी ने मौका दिया है। कुलदीप बिश्नोई खुद को कांग्रेस में भूपिंदर सिंह हुड्डा के विकल्प के तौर पर एक वक्त में देखते थे। लेकिन 2007 में वह पार्टी से अलग हो गए, जब हुड्डा को सीएम बनाया गया। यहां से चीजें बदलने लगीं और फिर वह कभी स्थिर नहीं रह पाए।

इसी तरह बंसीलाल की बेटी किरण चौधरी भी अब भाजपा का हिस्सा हैं। उन्हें हाल ही में भाजपा ने राज्यसभा सांसद बनाया है और उनकी बेटी श्रुति चौधरी को विधायकी का टिकट मिला है। हुड्डा से उनकी भी अदावत रही है। श्रुति चौधरी ने भी नायब सिंह सैनी के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है। गौरतलब है कि भाजपा हरियाणा में 2014 से पहले बहुत मजबूत प्लेयर नहीं थी, लेकिन भाजपा के उभार के बाद देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल के परिवारों का जनाधार कमजोर हुआ है। हरियाणा की राजनीति अब भाजपा और कांग्रेस के तौर पर दो ध्रुवीय नजर आती है।

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