देश – एक साल पहले हुई थी चूक, अब कैसे अपने लोगों का खोया विश्वास जीत रही इजरायली सेना? – #INA
इजरायल के लिए 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद से परिस्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण रहीं। पहले हमास और फिर हिजबुल्लाह के हमलों ने देश के दक्षिण और उत्तर में भारी तबाही मचाई, और लाखों इजरायली नागरिकों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। कहा जाता है कि एक साल पहले, इजरायल की ‘लापरवाही’ के कारण हमास ने भयानक नरसंहार किया था। इस हमले में 1200 के करीब इजरायलियों को उनके घरों में कत्ल कर गिया गया था। इजरायली सेना को इसकी भनक बहुत बाद में लगी। इन हालात में इजरायली रक्षा बल (IDF) को अपने नागरिकों का विश्वास फिर से जीतने और अपनी सुरक्षा क्षमता को पुनः स्थापित करने की जरूरत थी। आज, लगभग एक साल बाद, इजरायली सेना ने अपने सटीक और प्रभावशाली हमलों के जरिए दिखा दिया है कि वह अपने नागरिकों की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। अब इजरायल जवाबी कार्रवाई कर रहा है, हिजबुल्लाह अति आत्मविश्वास की कीमत चुका रहा है, और ईरान पीछे हट रहा है
हिजबुल्लाह पर इजरायली सेना का जवाब
पिछले कई हफ्तों से हिजबुल्लाह के लगातार रॉकेट हमलों के बाद, इजरायली सेना ने धीरे-धीरे अपनी कार्रवाई बढ़ाई और इस बात का संकेत दिया कि जब तक देश के 60,000 से अधिक विस्थापित नागरिक अपने घरों को सुरक्षित रूप से नहीं लौट पाते, तब तक यह सिलसिला जारी रहेगा। इस बार इजरायल की राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व ने सिर्फ धमकियों तक सीमित रहने के बजाय, ठोस कार्रवाई की। सितंबर 2024 के मध्य में इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के हजारों सदस्यों की पेजर डिवाइसों में ब्लास्ट कर दिया। यह कार्रवाई न केवल तकनीकी रूप से शानदार थी, बल्कि इसका प्रतीकात्मक महत्व भी गहरा था।
नेतृत्व का सफाया और हिजबुल्लाह की क्षमताओं पर हमला
हिजबुल्लाह के अधिकांश नेतृत्व को निशाना बनाते हुए इजरायली सेना ने कई महत्वपूर्ण आतंकवादी कमांडरों का सफाया कर दिया। हिजबुल्लाह की खास ‘रदवान फोर्स’ ऐतिहासिक गलील क्षेत्र पर हमला करने की योजना बना रही थी। इजरायल ने उस पर एक बड़ा हमला किया। इसके साथ ही हिजबुल्लाह के रॉकेट और मिसाइल ठिकानों पर भी हमले किए गए। ये हमले खासतौर पर उन स्थानों पर किए गए जहां हथियार आम नागरिकों के घरों में छिपाए गए थे।
इजरायल की सेना ने हर बड़े हमले के बाद इंतजार किया कि शायद हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह उनके संदेश को समझे। लेकिन नसरल्लाह ने हमले जारी रखे। इसलिए, इजरायली सेना ने 26-27 सितंबर 2024 को नसरल्लाह को ही निशाना बनाया और अगले दिन इसकी पुष्टि की गई कि वह मारा गया है।
हमास का सफाया
हिजबुल्लाह से पहले इजरायल ने हमास की लीडरशिप को खत्म किया। मोहम्मद दैफ, इस्माइल हानियेह और सालेह अल-अरूरी, हमास के प्रमुख नेता और आतंकवादी संगठन के सैन्य विंग के संस्थापक, 2024 में इजरायल के हवाई हमलों और ड्रोन स्ट्राइकों में मारे गए। मोहम्मद दैफ को 13 जुलाई 2024 को गाजा के खान यूनिस क्षेत्र में इजरायली लड़ाकू विमानों ने मार गिराया। दैफ कस्साम ब्रिगेड के संस्थापकों में से एक था और इजरायल के सात हत्या प्रयासों से बच चुका था और माना जाता है कि 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिण इजरायल पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था।
हमास चीफ इस्माइल हानियेह को 31 जुलाई 2024 को ईरान के तेहरान में एक राज्य अतिथि गृह में मिसाइल हमले में मारा गया। इस हमले की जिम्मेदारी इजरायल ने आधिकारिक तौर पर नहीं ली, लेकिन हानियेह की हत्या की पुष्टि हमास द्वारा की गई। इसके अलावा, सालेह अल-अरूरी, हमास के उपप्रमुख और कस्साम ब्रिगेड के संस्थापक, 2 जनवरी 2024 को बेरूत के दक्षिणी उपनगर दहीयेह में एक इजरायली ड्रोन हमले में मारे गए।
इजरायली नागरिकों का बढ़ता विश्वास
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में कहा कि इजरायल तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक उसके नागरिक सुरक्षित रूप से अपने घरों में वापस नहीं लौट जाते। उनका संदेश साफ था कि इजरायल अपने उत्तरी सीमा पर एक और 7 अक्टूबर जैसी घटना नहीं होने देगा।
इजरायली सेना के प्रवक्ता डेनियल हागारी ने भी इस बात पर जोर दिया कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन सेना अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और तैयार है। हिजबुल्लाह के पास अभी भी कुछ रणनीतिक क्षमताएं हैं, लेकिन इजरायल की सेना उन्हें कमजोर करने और खतरे को खत्म करने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है।
ईरान पर सीधा हमला
इजरायल की सैन्य कार्रवाई ने न केवल हिजबुल्लाह बल्कि उनके समर्थक ईरान को भी सीधा संदेश भेजा। नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि अगर ईरान इजरायल पर हमला करता है, तो इजरायल उसे करारा जवाब देगा। अब सवाल यह है कि ईरान अपने सहयोगी हिजबुल्लाह को इजरायली सेना के सामने हारता हुआ देखेगा या वह और अधिक हमले करने का जोखिम उठाएगा।
आगे की चुनौतियां
हालांकि इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। गाजा में हमास को पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सका है और 97 बंधक अभी भी गाजा में कैद हैं। इसके अलावा, उत्तरी इजरायल के हजारों विस्थापित नागरिक अभी भी अपने घरों में वापस नहीं लौट सके हैं।
इजरायली सेना का यह कदम इस बात का प्रमाण है कि अब वह अपने देश की रक्षा में पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली है। नेतन्याहू और इजरायली नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। हालांकि, यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, और इजरायल को आने वाले दिनों में और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इजरायइल के नागरिक अब अपनी सेना में बढ़ता विश्वास महसूस कर रहे हैं, और यह जीत न केवल सेना की ताकत का प्रतीक है, बल्कि इस बात का भी संकेत है कि इजरायल अब अपनी सुरक्षा के मामले में पहले से कहीं ज्यादा गंभीर और तैयार है।
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