देश- JDU में लगातार बढ़ रहा श्याम रजक का कद, नीतीश कैबिनेट में मिल सकती है जगह- #NA
जेडीयू नेता श्याम रजक
राष्ट्रीय जनता दल को छोडकर हाल ही में जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए पूर्व मंत्री श्याम रजक का पार्टी में कद लगातार बढता जा रहा है. बिहार के सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है जल्द ही श्याम रजक को नीतीश सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए उनका विधानसभा या फिर विधान परिषद में से किसी एक का सदस्य होना अहम है.
हाल ही में जब श्याम रजक ने राजद को छोडा था तब उन्होंने कहा था कि पार्टी जो भी काम देगी, उसे पार्टी हित के लिए करूंगा. जेडीयू में शामिल होने के कुछ ही दिनों बाद श्याम रजक को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया गया. उस वक्त भी श्याम रजक ने कहा था कि पार्टी ने बडी जिम्मेदारी दी है. मैं पार्टी में विशेष रूप से दलितों, पिछडों को जोड़ने के लिए पहल करूंगा.
अशोक चौधरी दुबई गए तो श्याम झारखंड गए
एक और अहम राजनीतिक घटना में श्याम रजक की पार्टी में बढते कद को इस चर्चा के अनुरूप देखा जा रहा है. जेडीयू की तरफ से अगस्त महीने में मंत्री अशोक चौधरी को झारखंड का प्रभारी बनाया गया था. जिस दिन श्याम रजक को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था, उसी दिन अरूण प्रकाश को झारखंड का सह प्रभारी नियुक्त किया गया था. अशोक चौधरी अभी दुबई के दौरे पर हैं. ऐसे में सोमवार को श्याम रजक झारखंड दौरे पर गए. अपने झारखंड दौरे पर श्याम रजक ने राज्य में एनडीए सरकार बनाने की बात कही. हालांकि श्याम रजक झारखंड जदयू के प्रभारी नहीं हैं.
मंत्री मंडल विस्तार की है चर्चा
बिहार में नीतीश कैबिनेट विस्तार को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा चल रही है. कुछ ही दिन पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने बिंदु पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात भी की थी. तब यह कहा गया था कि सब सेट हो चुका है. बात यहां तक सामने आई थी कि मंत्रिमंडल विस्तार में दो मंत्री जदयू से और अन्य बीजेपी से हो सकते हैं. ऐसे में इस बात को बल मिलना शुरू हो गया है कि श्याम रजक मंत्री मंडल में शामिल हो सकते हैं.
पहले भी मंत्री रह चुके हैं श्याम रजक
बिहार की राजनीति में 1995 से सक्रिय श्याम रजक लालू राबडी सरकार के साथ ही नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. 2009 में उन्होंने आरजेडी को छोड दिया था और जदयू में शामिल हो गए थे. 2019 में नीतीश मंत्रिमंडल में वह उद्योग मंत्री भी बने, हालांकि 2020 में उन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए बगावत करते हुए इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद वह आरजेडी में शामिल हो गए थे. चार सालों के बाद फिर उन्होंने राजद से इस्तीफा दे दिया और चंद रोज पहले ही वह जेडीयू में शामिल हो गए थे. तब यह चर्चा भी उठी थी कि आरजेडी ने न तो उन्हें फुलवारी से टिकट दिया था और न ही उनको विधान परिषद में भेजा था जिसके कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
अपने मताधिकार को लेकर दलित वोटर मुखर
वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय कहते हैं, चुनाव के पहले और चुनाव के ठीक पहले, इन दोनों ही सूरत को समझना होगा. चुनाव के पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है क्योंकि चुनाव के ठीक पहले अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो नीतीश कुमार को दलित वोट का कोई खास लाभ नहीं मिल सकता है. नीतीश कुमार को मुख्य रूप से दलित नेता चिराग पासवान को चुनौती देनी है और जीतन राम मांझी को भी तराजू में तौल कर रखना है.
उन्होंने आगे कहा कि यह बात अलग है कि दोनों एनडीए में अहम घटक दल हैं, लेकिन जिसका जितना संख्या बल आएगा विधानसभा में उसकी मजबूत दावेदारी उतनी ही मानी जाएगी. यह बात भी है कि सेकंड लाइन का कद्दावर नेता न बीजेपी पैदा कर सकी है और न ही जनता दल यूनाइटेड. ऐसी स्थिति में सभी घटक दलों के पॉलिटिकल बॉस के रूप में नीतीश कुमार अपने आप को लेकर के चल रहे हैं. यह बात दूसरी है कि या तो सेकंड लाइन लीडरशिप उभरने नहीं दिया गया या फिर स्वाभाविक रूप से उभर ही नहीं पाया.
दलित मतदाताओं के ऊपर पैनी नजर
उपाध्याय ने कहा कि जातीय गणना को देखें तो राज्य में करीब 16 प्रतिशत दलित मतदाता हैं और वह अपने मताधिकार को लेकर मुखर हो चुके हैं. उनके अंदर पॉलिटिकल लिटरेसी आ गई है. वह अपने नेता को चुनने में सक्षम है. यही कारण है कि दो अहम दलित नेताओं चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की पार्टी का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा है. शायद सीएम नीतीश कुमार की भी पैनी नजर इन दलित मतदाताओं के ऊपर है. इसी कारण श्याम रजक की मंत्रिमंडल में दावेदारी बन सकती है.
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