देश- ये सोना नहीं लहसुन है… कीमत 3 हजार रुपए किलो, क्या आपने लगाया कभी इसका तड़का?- #NA

अपने देश में आमतौर पर लहसुन का इस्तेमाल सब्जी बनाने या अन्य किचन के कार्यों में होता रहा है. यह बाजार में आसानी से मिल भी जाता है. हर रोज लोग इसे खरीदते हैं. इसकी कीमत भी दो सौ से तीन सौ रुपए किलो तक होती है, लेकिन पटना के बाजार में ऐसा भी लहसून मिलता है, जो न केवल आयुर्वेदिक रूप में प्रयोग किया जाता है, बल्कि इसकी कीमत ढाई हजार रुपए प्रति किलो है. खास बात यह है कि इस लहसुन की बिक्री हर जगह नहीं होती है. राजधानी के कुछ खास दुकानों में ही इसकी बिक्री होती है और इसके खरीदार भी चुनिंदा होते हैं.

राजधानी में 1948 से चली आ रही पटना जनरल स्टोर में इस खास लहसुन की बिक्री होती है. दुकान मालिक दिनेश सिंघी बताते हैं कि इसे कश्मीरी लहसुन, एक जवा लहसुन या पोठिया लहसुन भी कहते हैं. इस लहसुन को यहां मैं कम से कम करीब 12-13 सालों से बेच रहा हूं. करीब 12-13 वर्ष पहले ही इसे मैंने पहली बार बेचना शुरू किया था. तब लोग इसके बारे में नहीं के बराबर जानते थे. धीरे-धीरे लोग इसके बारे में जाने तो इसकी बिक्री बढ़ गई. जितने लोगों को मैंने बताया, इसकी बिक्री बढ़ गई. अब धीरे-धीरे लोग इसके बारे में जानना शुरू कर दिए हैं.

हिमाचल से आता है लहसुन

दिनेश बताते हैं कि पटना में यह लहसुन हिमाचल प्रदेश से मंगाया जाता है. हिमाचल प्रदेश की घाटियों में इसकी पैदावार होती है. वहां के व्यापारी इसे कोरियर कर देते हैं, जो अच्छी तरीके से पैक होता है. वहां के किसान हमारे संपर्क में हैं. वह भी हमें भेज देते हैं. वह कहते हैं कि अपने यहां के किसानों ने इसकी खेती करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए. शायद हिमाचल प्रदेश जैसा वातावरण यहां का नहीं है. जिस कारण इसकी पैदावार यहां नहीं हो सकी.

चने के जैसा सुनहरा कलर

इसकी कलियां सिंगल होती हैं. इसका रंग नहीं बदलता है. यह सुनहरे रंग का या पीले रंग का होता है. यह स्वाद में बिल्कुल आम लहसुन की तरह ही है. यह चने के जैसा भी दिखता है. जब इसके छिलके को हटाया जाता है तो अंदर से सफेद गोली निकलती है. उसी को खाया जाता है. दिनेश कहते हैं कि इस लहसुन का उपयोग सब्जी में नहीं होता है. सब्जी में आम लहसून डाले जाते हैं, जबकि इसका इस्तेमाल नहीं होता है.

इसके कई कारण हैं. एक तो यह आयुर्वेदिक है. दूसरा यह कि कीमत के हिसाब से यह आम लहसुन की तुलना में बहुत ही ज्यादा महंगा है. दो हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलने वाले लहसुन को कोई खाने के रूप में शायद ही इस्तेमाल करना चाहेगा. अपने देश के बाहर भी इस लहसुन की सप्लाई होती है. विदेश में इसकी पैदावार नहीं होती है. बड़ी संख्या में इसे हिंदुस्तान से दूसरे देशों में भेजा जाता है.

मूल रूप से आयुर्वेदिक उद्देश्य

दिनेश बताते हैं कि मूल रूप से देखा जाए तो इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक है. इसे एक से दो दाने तक ही खाया जाता है. शरीर के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर के लोग इस लहसुन का प्रयोग करते हैं. कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, हार्ट, गठिया, जॉइंट पेन, डायबिटीज या फिर नसों का दर्द हो, उसमें इस लहसुन को लोग खाते हैं. इसे खाने वाले 12 महीने खाते हैं. इस लहसुन को लोग अपनी जरूरत के हिसाब से 50 ग्राम, 100 ग्राम, 200 ग्राम या ढाई सौ ग्राम तक खरीदारी करते हैं.

सूखे जगहों पर भंडारण

दिनेश बताते हैं कि इसे सूखी जगह पर रखा जाता है. मॉइश्चर वाले जगह पर नहीं रखा जाता, नहीं तो इसमें फंगल लग जाते हैं. पटना में यह हर जगह पर नहीं मिलता है. मैंने इसके औषधिय गुणों के बारे में कई लोगों को बताया और उनका लाभ भी मिला. इस वजह से हमारे पास ग्राहक इसे खरीदने के लिए आते हैं.

क्वालिटी के अनुसार इसकी कीमत

दिनेश यह भी बताते हैं कि यह लहसुन कई प्रकार में होता है और उत्कृष्टता के हिसाब से इसकी कीमत तय होती है. यह लहसुन 700-800 रुपए प्रति किलो से शुरू होता है और लगभग तीन हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. इसमें ग्रेडिंग होती है और ग्रेडिंग के अनुसार इसकी कीमत तय होती है. सबसे ऊपर ए वन प्लस या ए वन होता है. यह

एक्सपोर्ट होता है, जिसकी कीमत तीन हजार रुपए प्रति किलो तक होती है. यह एक्सपोर्ट क्वालिटी होता है. पटना में ए वन क्लास का लहसुन बिकता है, जिसकी कीमत लगभग ढाई हजार रुपए किलो होती है. इसकी कीमत बहुत बार खरीदारी के ऊपर भी निर्भर करती है. अगर इसका दाना छोटा है तो उसकी कीमत कम हो जाती है फिर भी वह 800 या हजार रुपए किलो तक बिकता है.

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