देश- छत्तीसगढ़: मारे गए 31 नक्सलियों में 22 की हुई पहचान, IG बस्तर ने कहा- इनपर 1.67 करोड़ का था इनाम- #NA
नारायणपुर नक्सली मुठभेड़ (फाइल फोटो)
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में से 22 के शवों की पहचान हो गई है. रविवार को यह जानकारी देते हुए आईजी बस्तर पी सुंदरराज ने बताया कि इन 22 नक्सलियों पर 1.67 करोड़ रुपये का इनाम था. शुक्रवार को नक्सलियों के बारे में सूचना मिलने के बाद पुलिस और सेना ने इस बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया. मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में 18 पुरुष और 13 महिलाएं हैं.
दंतेवाड़ा मुठभेड़ पर बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘कल नारायणपुर जिले में मुठभेड़ हुई थी. बड़ी मुठभेड़ में शामिल शीर्ष नेता नीति उर्फ उर्मिला माओवादियों की स्पेशल जोनल कमेटी (एसजेडसीएम) की सदस्य थी. उस पर 25 लाख रुपये का इनाम था. उन्होंने बताया कि नीति नक्सलियों के पूर्वी बस्तर संभाग का नेतृत्व कर रही थी. इनमें नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, बीजापुर और कोंडागांव शामिल है.
बरामद हुए हथियारों डिटेल प्रोफाइलिंग जारी है
आईजी सुंदरराज पी ने बताया, ‘नारायणपुर जिले में हुई मुठभेड़ के बाद कुल 31 शव बरामद किए गए हैं. इनमें 18 पुरुष और 13 महिलाएं हैं.. हथियारों की बरामदगी के हिसाब से डिटेल प्रोफाइलिंग का काम अभी भी जारी है. 1 एलएमजी हथियार, 4 एके47, 6 एसएलआर और 3 इंसास बरामद किए गए हैं. इसकी फाइनल डिटेलिंग अभी जारी है.’ उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के बाद भी सर्च ऑपरेशन जारी है.
वहीं, उन्होंने आगे बताया कि डीआरजी का एक जवान घायल हैं और फिलहाल वह खतरे से बाहर है. उसका रायपुर में इलाज चल रहा है. रायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा में थुलथुली और नींदूर गांवों के बीच अबूझमाड़ इलाके में पुलिस नक्सल विरोधी अभियान चला रही है. इसमें पुलिस के साथ सीआरपीएफ/डीआरजी के बल शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मृतकों में दो अन्य प्रमुख नक्सलियों की पहचान सुरेश सलाम और मीना मड़कम के रूप में हुई है, जो डिवीजनल कमेटी के सदस्य थे. दोनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था. वहीं, 8 नक्सलियों की पहचान पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) कंपनी नंबर छह के सदस्यों के रूप में हुई है. जबकि पांच की पहचान माओवादियों की क्षेत्रीय समिति के सदस्यों के रूप में हुई है. यह ऑपरेशन माओवादियों और उनके पूर्वी बस्तर डिवीजन और पीएलजीए कंपनी के लिए बड़ा झटका है. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 24 साल बाद सुरक्षा बलों का यह अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है.
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