देश – वायनाड से 'डेब्यू' कर रहीं प्रियंका गांधी पर होंगी सबकी निगाहें, 5 पॉइंट्स में उनका राजनीतिक सफर – #INA
मंगलवार को चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड की विधानसभा सीटों के साथ 49 सीटों के भी उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए एक ही चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा। झारखंड में नक्सल प्रभावित इलाकों को देखते हुए दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान किया जाएगा। 47 विधानसभा सीटों और दो लोकसभा सीटों के लिए भी उपचुनाव की घोषणा हुई है। सभी सीटों पर मतगणना 23 नवंबर को होगी। केरल की वायनाड सीट पर उपचुनाव 13 नवंबर को होना है। इस सीट पर उपचुनाव से प्रियंका गांधी राजनीतिक डेब्यू भी कर रही हैं। वायनाड सीट को राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 में जीत के बाद छोड़ दिया था, क्योंकि उन्होंने रायबरेली से सांसदी चुनी।
जून महीने में ही कांग्रेस पार्टी ने वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा को मैदान में उतारने का फैसला किया था । 17 जून को दिल्ली में कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बैठक हुई और इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। प्रियंका गांधी वाड्रा हालांकि 1999 से सक्रिय रूप से राजनीति में शामिल हैं। शुरुआत में उन्होंने अमेठी में अपनी मां सोनिया गांधी के लिए प्रचार किया था, लेकिन खुद चुनाव कभी नहीं लड़ा। इस बार प्रियंका गांधी वायनाड से राजनीति में डेब्यू कर रही हैं। वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी पर सबकी निगाहें रहेंगी।
राजनीति में डेब्यू
राहुल गांधी का वायनाड से गहरा भावनात्मक जुड़ाव है। 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड और यूपी की अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था। वायनाड सीट पर राहुल गांधी ने बाजी मार ली थी, लेकिन पारंपारिक सीट अमेठी में उन्हें भाजपा की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। 2024 में राहुल गांधी एक बार फिर इन दोनों सीटों से चुनाव लड़े और दोनों सीटों पर बाजी मारी। नियमों के अनुसार, राहुल को एक सीट छोड़नी थी तो उन्होंने अमेठी को चुनकर वायनाड सीट छोड़ दी। अब अपने भाई की सीट पर प्रियंका गांधी राजनीति में डेब्यू क रही हैं।
राजनीतिक सफर
प्रियंका गांधी ने जनवरी 2019 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस के महासचिव के रूप में आधिकारिक रूप से काम करना शुरू किया और राजनीति में एंट्री ली। हालांकि इस औपचारिक पद को संभालने से पहले वह अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के चुनाव प्रचार का प्रबंधन जरूर करती थीं।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस चुनाव में कांग्रेस के खाते में 52 सीटे आईं। उन्होंने यूपी में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की पूरी कोशिश की। प्रियंका गांधी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी मोर्चा संभाला और कांग्रेस की स्थिति बेहतर करने के लिए महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी पूरी कोशिश यूपी में कांग्रेस के प्रयासों जमीन पर उतारना था। तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस के खाते में दो ही सीट आ पाई।
दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश में 2022 को हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की। 68 सीटों में से कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने उतनी सक्रियता नहीं दिखाई, वहीं प्रियंका गांधी ने जिन पांच जिलों में चुनावी रैलियां की, वहां कांग्रेस ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की। प्रियंका गांधी हाल ही के कुछ वर्षों में कांग्रेस के नेतृत्व और रणनीति में अपनी खास जगह बना चुकी हैं, विशेष रूप से उत्तर भारतीय राजनीति में।
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