देश – भाजपा के लिए आर-पार की जंग, महाराष्ट्र चुनाव में देनी होगी अग्निपरीक्षा; क्या-क्या लगा दांव पर – #INA
Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर 20 नवंबर को होने वाले चुनावों की घोषणा के बाद अब सभी की नजरें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर टिकी हैं। भाजपा राज्य की सत्ताधारी महायुति गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा चुनावों में राज्य में खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा वापसी की उम्मीद कर रही है। राज्य में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए यह चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
भाजपा के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में 6 महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जून 2024 में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी। इस चुनाव में भाजपा को महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से केवल 9 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 2014 और 2019 में पार्टी ने 23 सीटें जीती थीं। भाजपा का वोट प्रतिशत भी 27.84% से घटकर 26.45% हो गया था।
भाजपा के लिए क्या दांव पर है?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण अग्निपरीक्षा है। चुनावी जीत से पार्टी का मनोबल बढ़ेगा, खासकर हरियाणा में 10 साल की सत्ता-विरोधी लहर के बावजूद पार्टी की शानदार जीत के बाद भाजपा अधिक सीटें जीतकर अपने गठबंधन सहयोगियों, शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार गुट), के साथ सत्ता-साझेदारी में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकती है। साथ ही चुनावी जीत भाजपा पर लगने वाले ‘ऑपरेशन लोटस’ के आरोपों को भी कमजोर कर देगी, जिसे पार्टी ने बार-बार नकारा है।
अगर भाजपा हार गई तो क्या होगा?
यदि महाराष्ट्र में भाजपा उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाती, तो इसका असर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भी पड़ सकता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुल सीटों का आंकड़ा घटकर 240 हो गया था, जिसके बाद विपक्षी दलों ने दावा किया था कि मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है। अगर विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल जीतते हैं, तो यह साबित करेगा कि 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा का कमजोर प्रदर्शन कोई अपवाद नहीं था।
महाराष्ट्र में भाजपा का कैसा रहा प्रदर्शन
पिछले एक दशक से भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी रही है। 2014 में भाजपा ने शिवसेना से अलग होकर चुनाव लड़ा और 122 सीटें जीतीं। इसके बाद शिवसेना फिर से भाजपा के साथ आ गई और दोनों ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी और मुख्यमंत्री पद की अदला-बदली की मांग की, जिसके बाद दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के साथ मिलकर महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाई।
हालांकि, 2022 में शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी और एमवीए सरकार गिर गई। शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके बाद, एनसीपी नेता अजित पवार ने भी पार्टी में विभाजन कर भाजपा-शिंदे गठबंधन में शामिल हो गए। अब, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, जहां वह अपने पिछले प्रदर्शन से बेहतर करना चाहेगी और राज्य की सत्ता में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहेगी।
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