देश- कैसे 35 लड़कियों के लिए भगवान बने हरेराम पांडे? कई अनाथ को बना दिया काबिल- #NA
35 लड़कियों की देखभाल कर रहे हरेराम पांडे.
प्रकृति हर तरह के इंसान को बनाती है. कुछ के अंदर इंसानियत होती ही नहीं और कुछ ऐसे कि समाज के लिए अपनी संपत्ति तक को बेच देते हैं. मूलत: भागलपुर के हरेराम पांडेय की भी ऐसी ही कहानी है. अनाथ बच्चों को पालने के लिए हरेराम पांडेय ने अपनी जमीन तक बेच दी. कहावत है कर्म रिटर्न होता है. जिन अनाथ को हरेराम पांडेय ने पाला-पोसा, अब उनमें से दो की सरकारी नौकरी लग गई है, जबकि अन्य तैयारी कर रही हैं.
मूलरूप से बिहार के भागलपुर के प्रशस्त गांव के निवासी हरेराम पांडे कहते हैं कि उनका यह सिलसिला कुछ इस कदर शुरू हुआ, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था. वह बताते हैं कि पिताजी के निधन के बाद मेरे भाइयों के साथ मेरी अनबन हो गई थी. मैं आठ भाई हूं. अनबन के बाद मैंने अपने अन्य भाइयों से कहा कि तुम लोग अब मुझे अपने भाई की श्रेणी में मत गिनना. यह मान के चलना कि अब तुम सात ही भाई हो. मेरी भी संपत्ति तुम लोग ले लो, लेकिन मुझे शांति के साथ रहने दो. उसके बाद से मैंने अपना मूल निवास छोड़ दिया और कहीं और चला गया.
चला आया देवघर
हरेराम बताते हैं, तब बिहार का विभाजन नहीं हुआ था और झारखंड नहीं बना था. 1998 में मैं देवघर चला आया. यहीं पर रहता और खाता था. कपड़े के बिजनेस के बारे में थोडी बहुत जानकारी मुझे थी. जीविका चलाने के लिए अपने परिवार के साथ वहीं मैंने एक छोटी सी दुकान की और कपड़े को बेचने लगा. तब भागलपुर से कपड़ा लाकर के देवघर में बेचा करता था. रोजी-रोटी शांति से चल रही थी. तकलीफ तो थी, लेकिन फिर भी मैं उतने में खुश था.
2004 से हुई शुरुआत
2004 की बात थी. तड़के का वक्त था. मैं अभी तुरंत साधना करके उठा था. उस वक्त कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे. मैं भी दौड़ के उस जगह पर पहुंचा, जहां सभी लोग जा रहे थे. वहां मैंने देखा कि एक नवजात शिशु, जो लड़की थी उसे फेंक दिया गया था. उसका प्लेसेंटा भी नहीं निकला था. वह भी उसके शरीर में ही था. पूरे प्लेसेंटा में चीटियां लगी हुई थी. जब मैंने उसको साफ किया, तभी वह नवजात बच्ची कोमा में चली गई.
बच्ची को लेकर मैं बच्चों के मशहूर डॉक्टर आरके चौरसिया के पास गया. बच्ची को देखने के बाद उन्होंने कहा कि यह बच्ची बचेगी नहीं. इसके पूरे शरीर में जहर फैल चुका है. मैं पूर्व में ड्रेसर भी रह चुका था. मैंने डॉक्टर से अपने अनुभव के आधार पर कहा कि नवजात बच्ची अभी जिंदा है. इसे बचाने की कोशिश कीजिए. जीवन देना और जीवन लेना दोनों विधाता के हाथों में है. मेरी चाहत है कि आप इलाज करें. तब उन्होंने कहा कि काफी खर्च होगा. इसके बाद मैंने एक आदमी को अपनी जमीन बेच दी. जमीन की कीमत तब 25 हजार रुपए लगी. यह जानते हुए कि यह मेरी जमीन है, लेकिन मैं रुक नहीं सका.
शायद प्रभु की यही है कृपा
हरेराम पांडे कहते हैं कि कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि ईश्वर ने मुझे इसी के लिए बनाया है. मैंने अपने इस काम को पूरा करने के लिए बहुत तकलीफ झेला है. इतने दुखों का सामना करना पड़ा है कि घर परिवार तक में साथ देना छोड़ दिया. अपनी जमीन को बेच करके बच्ची को पाला-पोसा. उसके लिए मुझे कितने ताने सहने पड़े, वह मैं ही जानता हूं. वह कहते हैं कि उस जमीन को जिसे मैंने अपना घर बनाने के लिए खरीदा था, उसे बेच कर सारे रुपए मैंने उसे नवजात बच्ची के इलाज में लगा दिया. ईश्वर की कृपा हुई. इलाज का असर दिखने लगा और वह ठीक होने लगी. 19 दिन इलाज हुआ. वह बच्ची बच गई. तब मैंने उसका नाम तापसी रखा. हम दोनों पति-पत्नी बहुत खुश हुए कि ईश्वर ने अपना प्रसाद हमें दे दिया. बिटिया को भी हम लोग पाल लेंगे.
जन्मदिन पर मिली एक और खुशी
हरेराम पांडेय कहते हैं कि तापसी का जन्मदिन हम लोगों ने अपने अनुसार मनाना शुरू कर दिया. नौ दिसंबर 2004 की बात है. तापसी का जन्मदिन था. घर में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया था. पूरे घर को माला से सजा रहा था. अभी कीर्तन की शुरुआत होने वाली थी कि तीन बजे तड़के मेरे घर के पड़ोसी ने फोन किया कि महात्मा जी राज ट्रांसपोर्ट में एक और नवजात बच्ची मिली है. वह नाइट ड्यूटी पर थे. उनको सूचना मिली तो उन्होंने मुझे बता दिया. मेरे पास एक मोटरसाइकिल थी. मैं उसी वक्त वहां पहुंचा.
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और नवजात बच्ची के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. उसे उठाकर के डॉक्टर के पास ले गया. पूरे शरीर की सफाई करवाई. मुझे बताया गया कि नवजात बच्ची की हालत सीरियस है. मैं फिर उसी डॉक्टर चौरसिया के पास पहुंचा. उधर नवजात बच्ची का इलाज शुरू हुआ और इधर मेरे घर में भजन-कीर्तन की शुरुआत हो गई. वह बिटिया भी बच गई. एक ही बेटी के जन्मदिन पर दो बेटियां मुझे मिल गईं. घर में भी बहुत खुशी का माहौल अच्छा गया.
मेरे जीवन का यही उद्देश्य
हरेराम पांडेय कहते हैं कि इसके बाद मैंने अपने जीवन का यही उद्देश्य बना लिया. आज की तारीख में मेरे पास ऐसी 35 बिटिया हैं, जो लोगों के द्वारा कहीं न कहीं फेंक दी गई थीं. मेरे पास ऐसी बेटियों की संख्या बढ़ने लगी. मैंने कभी उफ तक नहीं किया. मैं लोगों से मांग मांग कर खर्च चलाता रहा. इसी बीच में स्थानीय पेपर में भी मेरे बारे में छपा. हरेराम पांडे बताते हैं कि आज की तारीख में मैंने इन बेटियों के नाम पर एक अनाथालय भी खोल दिया है.
सफल हो रही हैं बेटियां
हरेराम पांडेय कहते हैं कि मेरे लिए खास बात यह है कि जिन बेटियों को मैंने पाल-पोस कर बड़ा किया. उनको कुछ करने के लायक बनाया. उन बेटियों ने मेरे सपने को भी पूरा किया. इन बेटियों में से दो सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुकी हैं. इनमें से एक बिहार सरकार में शिक्षिका है, जबकि दूसरी रिम्स रांची में कार्य कर रही है. उसने बीएससी नर्सिंग किया हुआ था. जिस तापसी बिटिया को सबसे पहले मैंने गोद लिया था. वह बेटी सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही है. उसका सपना आईपीएस बनने का है. इनके अलावा इन 35 बेटियों में से चार की मैं शादी कर चुका हूं. छह बेटियों का सपना डॉक्टर बनने का है. वह सभी नीट की तैयारी कर रही हैं.
हरेराम पांडेय बताते हैं कि सारी बेटियों की पढ़ाई मैंने मजबूती से कराई है. उद्देश्य केवल यही है कि इन बेटियों को मजबूत बना सकूं. आज मैंने अपनी साधना को संस्था का रूप दे दिया है. यहां पर शिक्षक भी आते हैं, जो इन बेटियों को पढ़ाते हैं. एक वार्डन भी है, जो उनकी देखभाल करती है. वह बताते हैं कि यूनाइटेड नेशन की तरफ से एक विशेष सीरीज भी मेरे ऊपर तैयार की गई है. हालांकि अभी उसकी स्थिति क्या है, मुझे नहीं पता है?
दो ग्रुप में बेटियां
हरेराम पांडेय बताते हैं कि इन बेटियों को मैंने सीनियर और जूनियर ग्रुप में बांट के रखा है. मैं जूनियर ग्रुप की बेटियों को शुरू से ही मजबूत करने की कोशिश करता हूं. ताकि वह आने वाले जीवन में और बेहतर कर सकें. अब मेरा उद्देश्य यही है कि जब तक सांस है, तब तक मैं इसी तरह का काम करता रहूं.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link