देश- Purnia News: प्यार के लिए आजाद झा से बना ‘मोहम्मद आजाद’, मौत के बाद अब अंतिम संस्कार को लेकर हो गया विवाद- #NA
युवक के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद
बिहार के पूर्णिया जिले में आजाद नाम के शख्स को एक महिला से प्यार हुआ. आजाद तो ब्राह्मण था, लेकिन उसे जिस महिला से प्यार हुआ वो मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखती है. आजाद को महिला से सच्चा प्यार था, वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था. प्यार के नाम पर वो आजाद झा से मोहम्मद आजाद भी बनने को तैयार था. बेटे की चाहत को महिला के लिए देखते हुए घरवालों ने उसके सामने प्रस्ताव रखा कि हिंदू बनाकर महिला से ब्याह कर सकते हो, लेकिन महिला के प्यार में पागल आजाद नहीं माना और मोहम्मद आजाद बनकर उससे शादी कर ली.
महिला के लिए आजाद का प्यार तकरीबन 17 साल पुराना था. इसलिए प्यार में सबकुछ कर गुजरने वाला आजाद नमाज भी अदा करने लाग, लेकिन शादी के कुछ समय बाद एक दिन घर में फंदे से लटका हुआ उसका शव बरामद हुआ. अब हिंदू संगठन के लोग आजाद का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के साथ करना चाहते हैं, तो वहीं उसकी बीवी के खानदान वाले मुस्लिम धर्म के मुताबिक, आजाद का अंतिम संस्कार करना चाहते हैं. इसी को लेकर विवाद बढ़ा हुआ है.
17 साल पहले हुआ था प्यार
आजाद झा को 17 साल पहले एक महिला से प्यार हुआ. उसने धर्म बदलकर महिला से शादी कर ली. अब वो आजाद झा से मोहम्मद आजाद बन चुका था. शादी के कुछ समय बाद आजाद अपने ससुराल वाले घर में फांसी पर झूलता पाया गया. उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पत्नी का कहना है कि मेरा शौहर पक्का शराबी था.
टैम्पू चलाकर कमाए ज्यादातर रूपये शराब में खर्च कर देता था. आजाद की मौत के बाद आजाद झा के घरवाले और हिन्दू संगठन के लोग, उसके शव के अंतिम संस्कार को हिंदू धर्म से करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन बीबी के पक्ष के लोग इसे दफन करना चाह रहे हैं.
बीवी के घरवालों का कहना है कि उसने इस्लाम मजहब अपना लिया तो फिर क्यूं दाह संस्कार करें? वहीं बात हंगामे तक पहुंच गई, इस मामले में पुलिस भी पहुंची और कई संगठन के लोग अपना-अपना पक्ष लेकर खड़े हुए हैं. वहीं, मामलें को बिगड़ता देख पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम कराकर अपने पास रख लिया है. अब दोनों समुदाय से बातचीत के बाद ही यह फैसला होगा, आखिर आजाद को चिता नसीब होगी या फिर उसे दफन किया जाएगा. मगर आजाद अब अतीत की गर्त में गुम हो गया.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link