देश- दिल्ली में बम प्लांट से क्या एजेंसियों को केवल सिग्नल देना है? विस्फोट की टाइमिंग और लोकेशन पर उठे सवाल- #NA
दिल्ली धमाका
राजधानी दिल्ली के रोहिणी में प्रशांत विहार इलाके में विस्फोट की घटना के बाद से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इनमें एक सवाल ब्लास्ट की टाइमिंग पर उठ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिसने भी बम प्लांट किया वो देश की जांच एजेंसियों को एक मैसेज और सिग्नल देना चाहता था. इसलिए उसने बम ब्लास्ट करने के लिए स्कूल की दीवार को चुना. इसके साथ संदिग्ध ने विस्फोट के लिए सुबह का वक्त चुनाव. उसने सेंट्रल दिल्ली या फिर भीड़ का समय नहीं चुना.
जिस तरह से सुबह का वक्त और दीवार साइड बम प्लांट किया गया उससे संदिग्ध की मंशा साफ है मकसद बस मैसेज देना था कोई बड़ा ब्लास्ट करना नहीं. जांच एजेंसियों को मौके से जो सफेद पाउडर मिला है उसे लेकर शक है. इस देसी बम या फिर कच्चे बम जिसे क्रूड कहा जाता है उसमें ऐमोनियम फॉस्फेट और कुछ केमिकल मिलाकर बम बनाया गया होगा.
जांच के बाद एग्जेक्ट केमिकल का चलेगा पता
हालांकि एफएसएल, सीआरपीएफ और एनएसजी ने ब्लास्ट के बाद मौके से जो कण जुटाए है उसकी जांच के बाद एग्जेक्ट केमिकल का पता चल जाएगा. विस्फोट वाली जगह से कुछ वायर मिले हैं. पर वो पहले से स्पॉट पर थे या नहीं इसकी जांच की जा रही है. जांच एजेंसियां अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेगी जिसके बाद ही बम ब्लास्ट करने का मकसद पता चल सकता है.
सीआरपीएफ स्कूल में पांच केटेगरी में स्टूडेंट्स को सिलेक्ट किया जाता है. सीआरपीएफ स्कूल का संचालन आईजी सीआरपीएफ एडमिन के सुपरविजन में किया जाता है. इसलिए कयास लगाया जा रहा है कि जिसने भी ब्लास्ट कराया है उसके पीछे केवल डराने की मंशा हो सकती है. हालांकि, एनआईए समेत देश की कई सुरक्षा एजेंसियां इस घटना की शुरुआती तफ्तीश में जुटी हुई हैं.
पांच केटेगरी में स्टूडेंट्स को सिलेक्ट किया जाता
- सीआरपीएफ ऑफिसर के बच्चो को.
- सीआरपीएफ के रिटायर्ड और हैंडीकैप अफसरों के बच्चों को.
- दूसरी पैरामिलिट्री फोर्सेस पर्सनल के बच्चों को जैसे आईटीबीपी, बीएसएफ और अन्य.
- डिफेंस फोर्सेस में तैनात अफसरों के बच्चों को.
- अगर सीट बचती है तो नॉन सर्विस वाले लोगों के बच्चों को ट्रेन किया जाता है.
माना जा रहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस मामले की तफ्तीश का जिम्मा एनआईए को सौंप सकती है. घटना की तफ्तीश की रिपोर्ट के बाद मंगलवार तक इस मामले आगे का फैसला लिया जा सकता है. सरकार आतंकी साजिश या कोई बड़े वारदात की संभावना को देखते हुए इस केस को NIA को ट्रांसफर कर सकती है. किसी भी बड़े अपराधिक वारदात या आतंकी घटना या संदिग्ध बम विस्फोटक से संबंधित इनपुट्स की जानकारी मिलने के बाद शुरुआती तफ्तीश के लिए NIA का पहुंचना ये एक SOP यानी प्रोटोकॉल का हिस्सा होता है.
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