देश- झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले BJP को झटका, दो पूर्व विधायक JMM में शामिल- #NA

लुईस मरांडी जेएमएम में शामिल.

झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले भारतीय जनता पार्टी के दो और पूर्व विधायक लुईस मरांडी और कुणाल सारंगी सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में शामिल हो गए. इससे दो दिन पहले तीन बार के बीजेपी विधायक केदार हाजरा और आजसू पार्टी के उमाकांत रजक के जेएमएम में शामिल हो गये थे.

दरअसल बीजेपी के प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही नेताओं का बीजेपी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने का सिलसिला शुरू हो गया है. बीजेपी की पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने कांके रोड मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर जेएमएम का दामन थाम लिया.

मंत्री रह चुकी हैं लुईस मरांडी

बता दें कि लुईस मरांडी पूर्व की रघुवर दास वाली सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. इस बार दुमका से बीजेपी ने सुनील सोरेन को टिकट दिया है. इसी से नाराज होकर लुईस मरांडी ने यह फैसला लिया है. पूर्व मंत्री लुईस मरांडी के साथ-साथ बीजेपी नेता गणेश महली और कुणाल सारंगी ने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता लिया.

हेमंत सोरेन को हराया था चुनाव

बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता और बहरागोड़ा के विधायक रह चुके कुणाल सारंगी ने कहा कि हम आज झामुमो में शामिल हो गए. पूर्व बीजेपी विधायक लुईस मरांडी ने 2014 में दुमका से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 5,262 मतों के अंतर से हराया था. हेमंत सोरेन ने 2019 में 13,188 वोटों के अंतर से सीट जीती थी. हालांकि, उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी और बरहेट सीट को बरकरार रखा था.

संवैधानिक संस्थाएं केंद्र सरकार की कठपुतली

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाएं बीजेपी के लिए काम कर रही हैं और वे केंद्र सरकार की कठपुतली बनकर रह गई हैं.गढ़वा जिले से विधानसभा चुनाव के लिए अभियान की शुरुआत करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह चुनाव राज्य और इसके लोगों के अधिकारों और सम्मान के बारे में है.

चुनाव की घोषणा तय समय से पहले

हेमंत सोरेन ने यह भी कहा कि चुनाव की घोषणा तय समय से पहले कर दी गई और उनकी सरकार को निर्धारित कार्यकाल भी पूरा नहीं करने दिया गया.राज्य में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 13 नवंबर और 20 नवंबर को होगा और वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी. उन्होंने कहा कि यह किसी से छिपा नहीं है कि संवैधानिक संस्थाएं बीजेपी के लिए काम कर रही हैं और केंद्र सरकार की कठपुतली बन गई हैं. बीजेपी के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाया जा रहा है. मैं इसका जीता जागता उदाहरण हूं.

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