देश- महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार की राह नहीं आसान, आदित्य और अमित क्या तोड़ पाएंगे सियासी चक्रव्यूह?- #NA

आदित्य ठाकरे और अमित ठकरे

महाराष्ट्र की सियासत को रिमोट कंट्रोल से चलाने वाले शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की तीसरी पीढ़ी चुनावी पिच पर किस्मत आजमाने उतरी है. ठाकरे परिवार के दो युवा चेहरों ने मुंबई की दो अलग-अलग विधानसभा सीटों से ताल ठोक रखी है. शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे अपनी वर्ली सीट से उतरे हैं तो मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे माहिम सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं. ठाकरे बंधुओं के खिलाफ विपक्ष ने ऐसा सियासी चक्रव्यूह रचा है, जिसे तोड़ पाना आसान नहीं है?

बालासाहेब ठाकरे अपने सियासी जीवन में कभी भी चुनाव नहीं लड़े. महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी की 1995 में सरकार बनी तो बाल ठाकरे ने सत्ता की कमान खुद संभालने के बजाय अपने करीबी को बैठाकर रिमोट कंट्रोल से चलाया. बाल ठाकरे के सियासी विरासत संभालने वाले उद्धव ठाकरे भले ही चुनावी मैदान में न उतरे हों, लेकिन सत्ता की बागडोर संभालने के लिए मुख्यमंत्री बने थे. ठाकरे परिवार से उद्धव ठाकरे पहले शख्स थे, जो किसी संवैधानिक पद पर विराजमान हुए थे.

मुंबई की माहिम सीट से अमित ठाकरे

उद्धव ठाकरे के सियासी वारिस माने जाने वाले उनके बेटे राज ठाकरे साल 2019 में वर्ली से चुनाव लड़कर विधायक बने और मंत्री बने थे. अब फिर से आदित्य ठाकरे वर्ली सीट से किस्मत आजमाने उतरे हैं. वहीं, बाल ठाकरे के छत्रछाया में पले-बढ़े राज ठाकरे ने भले ही कभी चुनावी सियासी पिच पर खुद न उतरे हों, लेकिन अब उन्होंने अपने बेटे अमित ठाकरे को मुंबई की माहिम सीट से उतारा है.

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आदित्य ठाकरे बनाम मिलिंद देवड़ा

आदित्य ठाकरे 2019 में वर्ली सीट से एनसीपी के सुरेश माने को 60 हजार वोटों से हराकर विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार स्थिति बदल गई है. पिछली बार आदित्य को बीजेपी का भी समर्थन हासिल था और शिवसेना एकजुट थी और राज ठाकरे का वॉकओवर था. ऐसे में उन्होंने एकतरफा जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार शिवसेना दो हिस्सों में बट चुकी है और बीजेपी भी उनके खिलाफ है. राज ठाकरे इस बार वर्ली सीट पर उनके मददगार नहीं बन रहे.

वर्ली विधानसभा सीट पर मुकाबला

आदित्य ठाकरे के खिलाफ सीएम शिंदे की शिवसेना ने मिलिंद देवड़ा को वर्ली से चुनावी मैदान में उतारा है. देवड़ा को बीजेपी और अजीत पवार की पार्टी का समर्थन हासिल है. इतना ही नहीं राज ठाकरे ने अपने करीबी संदीप देशपांडे को वर्ली से टिकट दिया है. इस तरह आदित्य ठाकरे के खिलाफ विपक्ष ने जबरदस्त तरीके से सियासी चक्रव्यूह रचा है, लेकिन कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी का समर्थन होने से मुकाबला रोचक हो गया है.

आदित्य ठाकरे का ऐसे किया घेराव

मुंबई की वर्ली सीट पर बड़ी संख्या में हाई प्रोफाइल और मराठा समुदाय के वोटर रहते हैं. मिलिंद देवड़ा की पकड़ हाई प्रोफाइल वर्ग के बीच मजबूत पकड़ मानी जाती है तो मनसे प्रत्याशी संदीप देशपांडे के उतरने से मराठा वोटों में भी बिखराव का खतरा बन गया है. एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे ने जिस तरह उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के खिलाफ घेराबंदी की है, उसके चलते चुनाव काफी रोचक हो गया है.

राज ठाकरे ने पेश की कड़ी चुनौती पेश

मुंबई साउथ संसदीय सीट के तहत वर्ली आती है. 2024 के लोकसभा चुनाव में वर्ली सीट पर मिले वोटों को देखें तो शिवसेना (यूबीटी) को सिर्फ 6715 वोटों से ही बढ़त मिली थी. पिछले चुनाव में आदित्य ठाकरे को वॉकओवर देने वाले राज ठाकरे ने इस बार कड़ी चुनौती पेश की है. संदीप देशपांडे ने 2017 के नगर निगम चुनाव में वर्ली में लगभग 33 हजार वोट हासिल किए थे. इस तरह वर्ली सीट पर दो तरफा घिरे आदित्य ठाकरे के लिए टेंशन बढ़ गई है.

माहिम सीट पर अमित ठाकरे भी घिरे

बालासाहेब ठाकरे की उंगली पकड़कर सियासत में आए राज ठाकरे ने भले ही शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नाम से पार्टी बना ली है, लेकिन सियासी अंदाज बाल ठाकरे की तरह है. राज ठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे के नक्शेकदम पर चलते हुए कभी चुनाव नहीं लड़े, लेकिन इस बार उन्होंने अपने बेटे अमित ठाकरे को माहिम सीट से उतारा है. अमित ठाकरे ने सोमवार को नामांकन भी दाखिल कर दिया है, लेकिन उनकी सियासी राह आसान नहीं रहने वाली है. माहिम शिवसेना का पुराना गढ़ माना जाता है और मनसे जीत का परचम फहरा चुकी है.

माहिम सीट पर शिवसेना के 3 सिपाही

माहिम सीट से शिवसेना के विधायक सदा सरवणकर तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने एकनाथ शिंदे के साथ उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था. सीएम शिंदे ने सरवणकर को माहिम सीट से प्रत्याशी बनाया है तो उद्धव ठाकरे ने महेश सावंत को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी इस सीट पर अमित ठाकरे को वॉकओवर देकर मनसे के समर्थकों की सहानुभूति बटोरना चाहती थी, लेकिन शिंदे की शिवसेना से उतरे सदा सरवणकर तैयार नहीं हैं. ऐसे में माहिम सीट की लड़ाई शिवसेना के तीन सिपाहियों के बीच हो गई है.

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