Roop Chaudas 2024 Upay: हिंदू धर्म में क्या है रूप चौदस का महत्व, देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए जरूर करें ये उपाय #INA

Roop Chaudas 2024 Upay: दीपावली से एक दिन पहले कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप चौदस मनायी जाती है. हिंदू धर्म में रूप चौदस जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन विशेष रूप से तन-मन की शुद्धि और सौंदर्य की पूजा की जाती है इसलिए इसे रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन स्नान और रूप-शृंगार का महत्व है. इस दिन प्रातःकाल स्नान करके शरीर को साफ किया जाता है और उबटन से शरीर की शुद्धि की जाती है. इस दिन उबटन, सुगंधित तेल और विशेष स्नान का प्रयोग शरीर और मन को शुद्ध और स्वस्थ बनाने के लिए किया जाता है. रूप चौदस का मुख्य उद्देश्य केवल बाहरी सौंदर्य नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि भी है. हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि इस दिन आत्मा को शुद्ध करने के लिए ध्यान और प्रार्थना की जाती है, ताकि व्यक्ति का आंतरिक और बाहरी रूप दोनों शुद्ध हो सके.

रूप चौदस के उपाय 

आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए छोटी दीवाली रूप चौदस के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल और रोली के पैकेट को एक लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दें. ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से पूरे साल धन की कमी नहीं होती. नौकरी या व्यापारह में तरक्की होने लगती है. आपका मान सम्मान समाज में बढ़ता है. 

रूप चौदस की शाम को यमराज, मां काली और हनुमान जी की पूजा जरूर करनी चाहिए. घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर 4 बत्तियों का दीपक जलाने वाले जातक के जीवन में हर तरह का सुख आता है. यमराज का ध्यान करते हुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त होता है. 

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मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर 16000 महिलाओं को उसके आतंक से मुक्त करवाया था. इसलिए इस दिन को “नरक चतुर्दशी” भी कहते हैं. इस दिन नरकासुर वध की स्मृति में दीये जलाए जाते हैं और बुराइयों के अंत का प्रतीक माना जाता है. रूप चौदस के दिन घर में दीये जलाने की परंपरा भी है. ऐसा माना जाता है कि यह दीये घर में शुभता और सकारात्मकता लाते हैं. छोटी दिवाली का पर्व व्यक्ति के तन-मन की शुद्धि, आंतरिक सौंदर्य और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, और दीपावली के स्वागत की एक तैयारी भी मानी जाती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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