देश- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कम सीट पर लड़ना BJP की मजबूरी या स्ट्रेटेजी, जानें- #NA
अजित पवार, अमित शाह और एकनाथ शिंदे.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन खत्म हो चुका है. 20 नवंबर को राज्य की 288 सीटों पर मतदान होगा और 23 नवंबर को वोटों की गणना होगी. उसके बाद यह साफ होगा कि क्या फिर से महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनेगी या महा विकास अघाड़ी की सत्ता में वापसी होगी. लेकिन उसके बाद दोनों पक्षों की ओर से जमकर चुनाव में प्रचार किये जाएंगे.
दीपावली के बाद बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के दोनों गुटों के तमाम बड़े नेता राज्य में चुनावी रैलियां और धुआंधार चुनाव प्रचार करते दिखाई देंगे, लेकिन पहली बार बीजेपी अब तक की सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है आखिकार बीजेपी कम सीटो पर क्यो चुनाव लड़ रही है?
148 सीटों पर चुनाव लड़ रही है बीजेपी
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों इस बार बीजेपी सिर्फ 148 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी इस बार 15 सीटों पर कम चुनाव लड़ रही है, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि अजित पवार की एनसीपी ने 53 सीटो पर उम्मीदवार उतारे हैं.
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इसके अलावा 5 सीटें अन्य महायुति सहयोगियों को दी गईं, जबकि दो सेगमेंट पर कोई फैसला नहीं लिया गया. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार बीजेपी ने किस मजबूरी के तहत कम सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं?
भाजपा सूत्रो के मुताबिक इस बार बीजेपी के खिलाफ राज्य में सत्ता विरोधी लहर काफी ज्यादा है. साथ ही साथ बीजेपी ने इस बार कम से कम 10 सीटों पर अपने सहयोगियों के साथ उम्मीदवार की अदला-बदली की है, जिससे बीजेपी का स्ट्राइक रेट कायम रहे.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली 9 सीटें
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 28 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली थी. वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी को 26.4 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ था.
हालांकि बीजेपी के चुनावी प्रदर्शन की 2019 के लोकसभा चुनाव से तुलना करें तो यह निश्चित रूप से खराब रहा था. बीजेपी के सहयोगियों की अगर बात करें तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 13 फीसदी वोट शेयर के साथ 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और सात सीटें जीतीं.
अजित पवार की एनसीपी को मिली थी केवल एक सीट
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने कुल 3.6% वोट शेयर के साथ चार सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ एक सीट जीती, जबकि 2019 में बीजेपी को 27.8 फीसदी वोट मिले थे, जो 2024 में मिले वोट शेयर से थोड़ा ज्यादा है.
कांग्रेस को 16.4% वोट मिले थे, जबकि अविभाजित शिवसेना और एनसीपी ने क्रमशः 23.5% और 15.7% वोट हासिल किए थे.
2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी का वोट शेयर अन्य दलों से ज्यादा रहा. ऐसे में राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शिवसेना शिंदे और अजित पवार की पार्टी, महाराष्ट्र में लोकल मुद्दो पर भारी पड़ सकती है. बीजेपी कहती है कि हम पहले भी गठबंधन में नंबर वन थे. आज भी गठबंधन में नंबर वन पार्टी हैं .
चुनाव में मराठा आरक्षण बड़ा मुद्दा
बड़ी संख्या में मराठा इनको वोट भी करते रहे हैं. राज्य में मराठा आरक्षण एक बड़ा मुद्दा रहा है. आरक्षण का ठिकरा , बीजेपी के सिर न फूटे इसलिए मराठी मुद्दों से परहेज कर रही है और सबसे बड़ी बात, जो जहां से जीत सकता है, उस आधार पर सीट बांटी गई है.
2019 में बीजेपी का अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन था, तब पार्टी ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 25.8% वोट शेयर हासिल किया. ऐसे में बीजेपी ने इस बार अपने दोनों नए सहयोगियों को न केबल ज्यादा सीट दी, बल्कि बड़े पैमाने पर बीजेपी के उम्मीदवार शिवसेना और अजित पवार की पार्टी से चुनाव मैदान में है.
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