देश- Rajasthan By-election: उपचुनाव में फिर दिखेगा वसुंधरा राजे का जलवा! तूल पकड़ती अदावत के बीच इस सीट पर कर सकती हैं प्रचार- #NA
वसुंधरा राजे.
राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनावों होने हैं. इसको देखते हुए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक रखी है क्योंकि ये प्रदेश की भजनलाल सरकार की पहली परीक्षा है. मगर, बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इन सात सीटों के उपचुनाव से खुद को अलग रखे हुए हैं. वसुंधरा राजे अब तक किसी भी सीट पर चुनाव प्रचार के लिए नहीं गई हैं. ऐसे में बीजेपी संगठन और भजन सरकार से वसुंधरा राजे की अदावत का मुद्दा तूल पकड़ रहा है.
इसी अदावत के बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, झुंझुनूं में पार्टी के उम्मीदवार और अपने करीबी राजेंद्र भाम्भू के लिए वसुंधरा राजे प्रचार कर सकती हैं. इसके बाद अब बीजेपी नेताओ में वसुंधरा का एक सीट पर प्रचार का कार्यक्रम चर्चा का विषय बना हुआ है. राजस्थान की झुंझुनूं, दौसा, देवली -उनियारा, खीवसर, रामगढ़, चौरासी और सलूंबर सीटों के उपचुनाव को लेकर बीजेपी पूरी ताकत से मैदान में डटी है.
सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल
इन सात में से बीजेपी के पास सलूंबर इकलौती सीट थी लेकिन सवाल भजनलाल सरकार की प्रतिष्ठा का है. इसलिए बीजेपी में एक-एक सीट की कम केंद्रीय मंत्रियों और सांसद समेत प्रदेश के बड़े नेताओं को सौंप रखी है. पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी शामिल कर रखा है लेकिन वसुंधरा ने अभी तक किसी भी उपचुनाव वाली सीट का दौरा नहीं किया है.
बताया जाता है कि वसुंधरा राजे सरकार और संगठन दोनों से नाराज हैं. इसलिए वो प्रदेश में बिल्कुल सक्रिय नहीं हैं. अब प्रदेश के किसी नेता के पास वसुंधरा राजे को लेकर पूछे जाने वाले किसी सवाल का कोई जवाब नहीं है. हालत तो ये है कि वसुंधरा राजे को लेकर राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदन राठौड़ और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल भी गैर मौजूदगी को लेकर अलग-अलग जवाब देते है.
वसुंधरा का कार्यक्रम तय होगा
प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल का कहना है कि वसुंधरा राजे केंद्रीय नेता हैं. मुझसे भी बड़ी हैं. उनका कार्यक्रम आलाकमान तय करेगा. दूसरी तरफ अध्यक्ष राठौड़ कहते हैं कि वसुंधरा का कार्यक्रम तय होगा लेकिन बीजेपी की इस अंदरूनी खींचातानी का कांग्रेस पूरा मजा ले रही है.
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह का कहना है कि बीजेपी के किसी भी प्रदेश नेता का कद वसुंधरा जितना बड़ा नहीं है, बस यही दिक्कत है. वैसे वसुंधरा की उपचुनाव से दूरी बनाए रखने की नीति नई नहीं है. लोकसभा चुनाव के वक्त भी वो सिर्फ अपने बेटे के क्षेत्र तक सीमित रही थीं. इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी वसुंधरा की किसी भी विधानसभा क्षेत्र में कोई रैली या सभा नहीं हुई थी.
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