Waqf Board : हर हाल में वक़्फ़ बोर्ड का कानून बदलेंगे अमित शाह! मंच से गरजे गृहमंत्री #INA
गृह मंत्री अमित शाह ने वक़्फ़ बोर्ड कानून को लेकर एक अहम बयान दिया है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. एएनआई के अनुसार, शाह ने कहा कि कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड द्वारा किसानों, गांवों और पुराने मंदिरों की जमीनों को वक़्फ़ संपत्ति में तब्दील किया गया और इसे रोकने वाला कोई नहीं था. लेकिन अब इस पर विराम लगेगा.
वक़्फ़ कानून में बदलाव का ऐलान
अमित शाह ने जोर देकर कहा, “यह मोदी सरकार है, यहां यह सब संभव नहीं होगा. नरेन्द्र मोदी जी ने वक़्फ़ बोर्ड कानून में बदलाव का प्रस्ताव दिया है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विपक्षी दल, खासतौर पर महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी, इस बदलाव का विरोध कर रही है, लेकिन इसके बावजूद सरकार संसद में वक़्फ़ कानून संशोधन बिल को पास कराएगी.
वक़्फ़ कानून पर उठते सवाल
अमित शाह ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड द्वारा बेबुनियाद तरीके से संपत्तियों को ‘वक़्फ़ संपत्ति’ घोषित किया जाना अब बंद होगा. उन्होंने कहा, “यह आजाद भारत है और किसी को भी किसानों, गांवों या मंदिरों की संपत्ति को वक़्फ़ संपत्ति घोषित करने की इजाजत नहीं है.”
क्या होगा बदलाव?
नए प्रस्तावित कानून के तहत, वक़्फ़ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक़्फ़ संपत्ति घोषित करने से पहले स्पष्ट और वैध प्रमाण देने होंगे. शाह ने कहा कि यह कदम किसानों, मंदिरों और आम नागरिकों की संपत्तियों को बचाने के लिए उठाया जा रहा है.
कांग्रेस और आघाड़ी पर निशाना
अमित शाह ने कांग्रेस और महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दल केवल तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं और वक़्फ़ कानून के दुरुपयोग पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा, “ये वही लोग हैं, जिन्होंने हमेशा जनता के हक को कुचला है. लेकिन मोदी सरकार इसे बदलने के लिए प्रतिबद्ध है.”
अमित शाह का बड़ा बयान।
हम हर हाल में वक़्फ़ बोर्ड का कानून बदलेंगे।
कांग्रेस कितना भी जोर लगा ले, रोक नहीं पाएगी।
500-500 साल पुराने मंदिर को वक़्फ़ संपत्ति घोषित कर दिया!
किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर वक़्फ़ बोर्ड ने कब्जा कर लिया!
ये हम नहीं चलने देंगे, हम इसी संसद सत्र… pic.twitter.com/jZGay1eXmP
— Panchjanya (@epanchjanya) November 15, 2024
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस ने इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया. वहीं, भाजपा समर्थकों ने इस कदम का स्वागत किया और इसे “न्याय की दिशा में मजबूत कदम” बताया.
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