देश- नागपुर में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर हमला, गरमाई राजनीति, जानें कैसा रहा सियासी सफर?- #NA

अनिल देशमुख. (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी (एसपी) नेता अनिल देशमुख सोमवार रात नागपुर में गंभीर रूप से घायल हो गए जब उनकी गाड़ी पर पथराव किया गया. पुलिस ने बताया कि नारखेड गांव में अनिल देशमुख एक जनसभा के बाद रात करीब आठ बजे कटोल लौट रहे थे, तब यह घटना घटी. पुलिस के अनुसार कटोल के पास जलालखेडा रोड पर बेलफाटा के पास अनिल देशमुख की गाड़ी पर पथराव किया गया, जिसमें वह घायल हो गये और उन्हें तत्काल कटोल सिविल अस्पताल ले जाया गया.

यह घटना महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के आखिरी दिन हुई है. अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख एनसीपी (एसपी) के टिकट पर कटोल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला बीजेपी के चरणसिंह ठाकुर से है. आइए जानते हैं अनिल देशमुख का अब तक का पूरा राजनीतिक सफर…

विधायक बने और फिर सीधे मंत्री

1995 में निर्दलीय विधायक के तौर पर पहली बार विधानसभा पहुंचे अनिल देशमुख ने गठबंधन सरकार में हिस्सा लिया. देशमुख को स्कूल शिक्षा, उच्च और तकनीकी शिक्षा, सांस्कृतिक मामले का विभाग सौंपा गया. जब अनिल देशमुख गठबंधन सरकार में संस्कृति मंत्री थे, तब उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महाराष्ट्र के लिए गौरवपूर्ण काम करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार शुरू किया था.

देशमुख का किला काटोल

नागपुर में कटोल विधानसभा क्षेत्र अनिल देशमुख के गढ़ के रूप में माना जाता है. 1999 में शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना की थी. उस वक्त कांग्रेस समेत कई दलों के नेता शरद पवार के साथ नई पार्टी में शामिल हुए थे. अनिल देशमुख भी उन नेताओं में से एक थे. इसके तुरंत बाद 1999 में हुए विधानसभा चुनाव में अनिल देशमुख फिर से कटोल से विधायक बने. बाद में साल 2004 में, उन्होंने कटोलमधी में फिर से एनसीपी से जीत हासिल कर हैट्रिक भी दर्ज की.

अब तक अनिल देशमुख के पास रहे मंत्री पद

2014 से 2019 तक के समय को छोड़ दें तो अनिल देशमुख स्थायी मंत्री रहे हैं. एनसीपी में आने के बाद उन्हें अहम विभागों की जिम्मेदारी भी दी गई.

  • 1995 (गठबंधन सरकार) – कैबिनेट मंत्री, स्कूल शिक्षा, उच्च और तकनीकी शिक्षा, सांस्कृतिक मामले
  • 1999 (पूर्व सरकार) – राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा, सूचना एवं जनसंपर्क
  • 2001 (केंद्र सरकार) – कैबिनेट मंत्री, राज्य उत्पाद शुल्क, खाद्य एवं औषधि प्रशासन
  • 2004 (केंद्र सरकार) – कैबिनेट मंत्री, लोक निर्माण
  • 2009 (केंद्र सरकार) – कैबिनेट मंत्री, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण

2014 के चुनाव में मिली हार

2014 के चुनावों में अनिल देशमुख कटोल से आशीष देशमुख से हार गए थे, जिन्होंने बीजेपी से चुनाव लड़ा था. फिलाल अब आशीष भी कांग्रेस में लौट आए हैं. वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में अनिल देशमुख को एनसीपी ने काटोल से उम्मीदवार बनाया और वह जीत गए.

वहीं मंत्री रहते हुए अनिल देशमुख के लिए गए कुछ फैसलों की चर्चा पूरे राज्य में हुई थी. चाहे वह स्कूली शिक्षा और संस्कृति मंत्री रहते हुए सिनेमाघरों में जबरन राष्ट्रगान गाने का मामला हो, या जब वह खाद्य और औषधि प्रशासन मंत्री थे तब किया गया बहिष्कार हो. इसके अलावा, मुंबई में सात किलोमीटर लंबा बांद्रा-वर्ली समुद्री लिंक तब पूरा हुआ, जब देशमुख लोक निर्माण मंत्री थे.

गृहमंत्री बनकर सबको चौंकाया

2019 में जब उद्धव ठाकरे सरकार ने अपनी कैबिनेट की घोषणा की तो सबकी नजर इस पर थी कि गृह मंत्री का पद किसे मिलेगा. एनसीपी के काटोल विधायक अनिल देशमुख को गृह मंत्री का प्रभार दिया गया. एक तरफ जब एनसीपी में अजित पवार, छगन भुजबल, जयंत पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल जैसे दिग्गज मौजूद थे तो शरद पवार ने अनिल देशमुख को गृह मंत्री का पद दे दिया.

गृहमंत्री पद से देना पड़ा था इस्तीफा

अनिल देशमुख महा विकास आघाड़ी सरकार के समय राज्य के गृहमंत्री थे. गृहमंत्री रहते हुए उन पर आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे, जिसमें वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी शामिल थे. इन आरोपों के कारण उन्हें गृहमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा और गिरफ्तारी भी हुई थी. गिरफ्तारी के दौरान वह 14 महीने जेल में भी रहे. राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को ईडी ने गिरफ्तार किया था. उन्हें 4 अक्टूबर, 2022 को जमानत दे दी गई. इसके बाद 28 दिसंबर 2022 को उन्हें आर्थर रोड जेल से रिहा कर दिया गया था.

एंटीलिया मामले में आया नाम

फरवरी 2021 में मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के सामने विस्फोटकों से भरा एक चार पहिया वाहन मिला था. तत्कालीन विपक्ष नेता देवेन्द्र फडणवीस ने विधानसभा सत्र में जब यह मामला उठाया तो राज्य और देश का ध्यान इस ओर गया. इसके बाद के घटनाक्रम से पता चलता है कि एंटीलिया केस के तार सबसे पहले मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अधिकारी सचिन वाजे, मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और फिर खुद गृह मंत्री अनिल देशमुख तक पहुंचे. इस बीच, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने हर महीने 100 करोड़ रुपए की मांग की थी.

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