दिल्ली में स्मॉग की समस्या पर शशि थरूर ने दिए सुझाव, बोले- राजधानी को नए घर की जरूरत #INA

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं, जैसे स्कूलों और ऑफिसों को बंद करना ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. वहीं, प्रदूषण का स्तर इतनी तेजी से बढ़ा है कि दिल्ली अब दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में पहले नंबर पर आ गया है, जिसे लेकर राजनीतिक दल दिल्ली सरकार को घेर रहे हैं. 

शशि थरूर का विवादित बयान

इस बीच, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने दिल्ली के प्रदूषण पर अपनी राय जाहिर की है. शशि थरूर ने ट्विटर पर एक सूची शेयर की, जिसमें दिल्ली का नाम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में पहले स्थान पर था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में इस गंभीर प्रदूषण के मद्देनजर देश की राजधानी को बदलने की आवश्यकता महसूस हो रही है.

राजधानी को बदलने की जरूरत

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को एक गंभीर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण अब राजधानी को बदलने की आवश्यकता महसूस हो रही है. शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि दिल्ली में गंभीर स्मॉग और प्रदूषण के कारण अब राष्ट्रीय राजधानी को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जैसा कि इंडोनेशिया ने अपने देश में किया है.

बयान से सोशल मीडिया पर बहस

थरूर की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर गर्मा-गर्म बहस छेड़ दी है. कई यूजर्स ने सुझाव दिया कि भारत की नई राजधानी को चेन्नई या हैदराबाद जैसे दक्षिणी शहरों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए, जहां वायु गुणवत्ता बेहतर है. थरूर ने लिखा, “क्या दिल्ली अब भी भारत की राष्ट्रीय राजधानी बनने के लिए उपयुक्त है?” उनके इस सवाल ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, खासकर जब दिल्ली का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है.

 इंडोनेशिया का उदाहरण दिया

शशि थरूर के बयान में एक दिलचस्प उदाहरण भी था, जो इंडोनेशिया के राजधानी स्थानांतरण पर आधारित था. 2022 में इंडोनेशिया ने अपनी राजधानी को जकार्ता से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर स्थित नुसंतारा (Nusantara) में स्थानांतरित करने का फैसला किया. जकार्ता, जो प्रदूषण और पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रहा था, ने अपनी राजधानी को एक नई जगह पर शिफ्ट करने का फैसला लिया. 

इंडोनेशिया की सरकार ने इस कदम के लिए 35 बिलियन डॉलर (करीब 2.9 लाख करोड़ रुपये) का बजट निर्धारित किया है, और 2045 तक 1.9 मिलियन लोगों को नुसंतारा में स्थानांतरित करने का लक्ष्य रखा गया है. यह कदम पर्यावरणीय और जलवायु संबंधी चिंताओं से निपटने के लिए उठाया गया था, और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषित शहरों में से एक जकार्ता के लिए जरूरी था.

जकार्ता में बढ़ते प्रदूषण की स्थिति

जकार्ता की वायु गुणवत्ता भी दिल्ली की तरह गंभीर स्थिति में है. हर साल, जकार्ता में मई से अगस्त तक वायु गुणवत्ता “बहुत अस्वस्थ” श्रेणी में रहती है, जिससे अस्पतालों में श्वसन संक्रमण के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है. 2023 में, जकार्ता का प्रदूषण स्तर लगातार वैश्विक स्तर पर सबसे खराब प्रदूषित शहरों में शुमार रहा. इस प्रदूषण के कारण नवजात शिशुओं और बच्चों की मौतों और शारीरिक विकास में रुकावट (stunting) जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आई हैं. 

 



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