देश- महाराष्ट्र-तेलंगाना, दोनों जगहों पर वोट डालते हैं इन 12 गांव के लोग; आखिर ऐसा क्यों?- #NA
दो राज्यों में है इन 12 गांव के लोगों के वोट
तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर 12 गांव ऐसे हैं जिन्हें महाराष्ट्र सरकार अपनी सीमा में मानती है और तेलंगाना की सरकार अपनी सीमा में. इन 12 गांवों में रहने वाले लोगों के वोट से लेकर राशन कार्ड तक दोनों राज्यों में बने हैं. लेकिन यहां रहने वाले लोग दावे के साथ यह नहीं कह सकते कि आखिर वह किस राज्य में हैं. यहां रहने वाले लोगों का दर्द भी यही है. उनका कहना है कि चुनाव आते ही दोनों राज्यों के नेता उनके गांव में आते हैं, लेकिन विकास की बात होती है तो दोनों ही राज्य एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं.
इन सभी गांव के लोगों ने हाल ही में तेलंगाना चुनाव में वोट किया था और अब महाराष्ट्र चुनाव में वोट करने जा रहे हैं. यहां रहने वालों का कहना है कि उनकी यह समस्या आस से नहीं, बल्कि महाराष्ट्र और आंध प्रदेश के बीच हुए बंटवारे के समय से ही है. स्थानीय लोगों के मुताबिक 1956 में राज्यों का पुनर्विभाजन हुआ था. उस समय ये 12 गांव संयुक्त आंध्र प्रदेश में शामिल किए गए थे. चूंकि भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ये गांव महाराष्ट्र के ज्यादा करीब हैं.
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है सीमा विवाद का मामला
ऐसे में इन गांवों को साल 1987 में महाराष्ट्र की चंद्रपुर जिले के जीविति तालुका में शामिल कर लिया गया. इस मामले को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और केके नायडू आयोग से रिपोर्ट बनवाई गई. इसमें तय हुआ कि 12 गांवों को आंध्र प्रदेश में ही रखा जाएगा. इस पर महाराष्ट्र सरकार ने अपील दाखिल कर दी और अब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इसका खामियाजा गांव वालों को भुगतना पड़ रहा है. इस विवाद की वजह से इन गांवों में महाराष्ट्र बोर्ड है तो तेलंगाना बोर्ड भी है.
डबल हैं सभी सुविधाएं
इसी प्रकार इन सभी गांवों में 2-2 सरपंच और राशन से लेकर पेंशन तक सब डबल हैं. वहीं, जब विकास योजनाओं की बात आती है तो ये सभी गांव दोनों ही राज्यों में सबसे पिछड़े हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि दो राज्यों की सीमा पर होना ही उनका दुर्भाग्य है. यहां के लोगों का कहना है कि गांव में इनकी जमीनें हैं. विवाद होता है तो मामले भी दोनों राज्यों में दर्ज होते हैं, सुनवाई कहीं नहीं होती. इसी प्रकार वह वास्तव में किस राज्य में रहते हैं, यह भी दावा करने का अधिकार उनके पास नहीं है.
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