देश- महाराष्ट्र के सीएम की रेस से शिंदे आउट तो फडणवीस पर सस्पेंस, किस समीकरण से बनेगा BJP का मुख्यमंत्री?- #NA

महाराष्ट्र में भी मुख्यमंत्री के नाम पर अभी भी सस्पेंस

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के नाम पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री की रेस से खुद को बाहर कर लिया है और बीजेपी के सीएम को स्वीकार करने की हामी भी भर दी है. इसके बाद बीजेपी के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने की राह आसान लग रही है, लेकिन बीजेपी में जब तक घोषणा नहीं हो जाती है तब तक कुछ भी कहा नहीं जा सकता है.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बुधवार देर रात बीजेपी के महासचिव विनोद तावड़े की मुलाकात ने सीएम के नाम पर फिर सस्पेंस बढ़ा दिया है, क्योंकि पीएम मोदी और शाह हमेशा से अपने फैसलों से सरप्राइज देते रहे हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी नए सीएम के नाम को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रही है. चुनाव में जिस तरह शानदार नतीजे आए हैं, उसके बाद से बीजेपी हर एक सियासी समीकरण को साधकर रखना चाहती है. एकनाथ शिंदे के कदम पीछे खींचने के बाद देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने की राह आसान दिख रही.

क्या नया सियासी पेंच फंस गया है?

दिल्ली में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ शिंदे-फडणवीस और अजीत पवार की होने वाली बैठक से पहले विनोद तावड़े और अमित शाह की मुलाकात हुई. इस दौरान तावड़े ने अमित शाह को महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण को लेकर फीडबैक दिया, जिसके चलते कहा जा रहा है कि नया सियासी पेंच फंस गया है.

अमित शाह और विनोद तावड़े के बीच करीब आधे घंटे तक बैठक चली. इस दौरान तावड़े ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रमों और नई सरकार बनाने की कवायद को लेकर बातचीत की. शिंदे के सीएम नहीं रहने पर सूबे के राजनीतिक समीकरण पड़ने वाले असर को लेकर फीडबैक दिया. महाराष्ट्र के मराठा वोटरों पर पड़ने वाले असर को लेकर अपनी बात रखी. शिंदे-फडणवीस और अजीत पवार के साथ होने वाली बैठक से पहले अमित शाह महाराष्ट्र नेताओं के साथ लगातार फीडबैक ले रहे हैं और नए सीएम के नाम पर सियासी नफा-नुकसान का आंकलन कर रहे हैं. ऐसे में विनोद तावड़े के फीडबैक क्या फडणवीस के सीएम बनने की राह में मुश्किल खड़ी कर देंगे?

मराठा वोटर काफी अहम हैं

देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि, एकनाथ शिंदे मराठा समुदाय से हैं. महाराष्ट्र में मराठा वोटर काफी अहम और निर्णायक हैं. शिंदे ने सीएम का फैसला बीजेपी के पाले में डाल दिया है और कहा कि मैंने पीएम मोदी – अमित शाह को फोन करके बोल दिया है कि आपका जो भी फैसला होगा, हमें स्वीकार रहेगा. अगर बीजेपी अपना सीएम भी चुनती है वो भी हमें स्वीकार है. हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं डालेंगे. शिंदे के इस बयान के बाद ही बीजेपी बहुत सोच समझकर अपना सीएम बनाना चाहती है, लेकिन फडणवीस के सीएम बनाए जाने पर मराठाओं की नाराजगी का खतरा भी बना हुआ है.

बीजेपी शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर भी मंथन कर रहा है कि गैर-मराठा सीएम बनाए जाने पर मराठा समुदाय कहीं नाराज न हो जाए. बीजेपी महाराष्ट्र में अपना सीएम बनाएगी तो एनसीपी और शिवसेना दोनों को डिप्टी सीएम पद देगी. एनसीपी से अजीत पवार का डिप्टी सीएम बनना तय है तो शिवसेना से अगर एकनाथ शिंदे नहीं भी बनते हैं तो अपने किसी करीबी नेता को डिप्टी सीएम बना सकते हैं. इस तरह शिवसेना, एनसीपी और मराठा समाज से डिप्टी सीएम बनना तय है. ऐसे स्थिति में बीजेपी नए सिरे से समीकरण बनाने में जुटी है और गैर-मराठा पर ही दांव खेलने की संभावना मानी जा रही है.

बीजेपी का सियासी आधार ओबीसी

विनोद तावड़े खुद भी महाराष्ट्र से आते हैं और ओबीसी समुदाय से हैं. तावड़े बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी भी हैं. एकनाथ शिंदे ने भले ही देवेंद्र फडणवीस की राह आसान कर दी है, लेकिन विनोद तावड़े के फीडबैक ने एक बार फिर सस्पेंस बढ़ा दिया है. महाराष्ट्र में बीजेपी का सियासी आधार ओबीसी का रहा है. बीजेपी शुरू से ही ओबीसी वोटों के दम पर महाराष्ट्र में राजनीति करती रही है. फडणवीस के सीएम रहते बीजेपी के ओबीसी नेताओं की नाराजगी की बात सामने आई थी, जिसमें, एकनाथ खड़से तो पार्टी छोड़कर ही चले गए और पंकजा मुंडे भी खुलकर फडणवीस को घेरती रही हैं.

महाराष्ट्र में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाने से पहले तमाम सियासी समीकरण के नफा-नुकसान का आकलन कर लेना चाहती है, क्योंकि किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिगड़े जातीय समीकरण को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में दुरुस्त कर लिया है. अब बीजेपी कोई जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाह रही. ऐसे में देखना है कि बीजेपी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर भरोसा जताती या फिर किसी नए चेहरे का नाम ऐलान करसरप्राइजदेगी.

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