देश – Rohingya Muslims Ban: रोहिंग्या मुस्लिमों को इस देश में नहीं मिली एंट्री, जानें क्या है ये धर्म की राजनीति #INA

Rohingya Muslims Ban: ‘जहां ये गए वहां अशांति हुई’ ये कहना है इंडोनेशिया के लोगों का. हाल ही में एक खबर आयी है कि 2 हफ्तों का समुद्री सफर कर जब 140  रोहिंग्या मुस्लिम लोग यहां पहुंचे तो उन्हे यहां के स्थानीय लोगों ने तट पर उतरने ही नहीं दिया. एक लकड़ी का नाव में सवार होकर ये रोहिंग्या मुस्लिम इंडोनेशिया के उत्तरी प्रांत आचे में शरण लेने आ रहे थे. ऐसी खबरें भी मिल रही हैं कि इसके लिए कुछ लोगों ने इनसे पैसे भी लिए थे कि वो इन्हें यहां बसा देंगे. रोहिंग्या मुस्लिमों के आने की खबरे जैसे ही मछुआरा समाज को मिली उन्होने इसका बहिष्कार कर दिया. 

पुलिस से मिली रिपोर्ट के अनुसार, ये रोहिंग्या मुस्लिम 9 अक्टूबर को कॉक्स बाजार से रवाना हुए थे, जिन्होने पहले मलेशिया जाने की कोशिश की, लेकिन जब इन्हें वहां एंट्री नहीं मिली तो ये किसी व्यक्ति की बातों में आकर इंडोनेशिया आ गए. यहां तक आने के लिए उस व्यक्ति ने इनसे पैसे भी लिए थे, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है. 

दो हफ्तों का मुश्किल सफर कर इंडोनेशिया पहुंचते ही इन लोगों का इस  तरह बहिष्कार हुआ कि इन्हें मछुआरों ने पोर्ट पर उतरने ही नहीं दिया. इस नाव में महिलाएं और बच्चों समेत 140 लोग थे, जो सब एक ही समुदाय के थे. पोर्ट पर बड़ा बड़ा लिखा है- “साउथ आचे रीजेंसी के लोग इस क्षेत्र में रोहिंग्या शरणार्थियों के आगमन को अस्वीकार करते हैं.”

हालांकि मीडिया में आयी रिपोर्ट्स के अनुसार, इन लोगों को वहां के स्थानीय लोगों ने खाने और पीने का सामान दिया लेकिन वो इस समुदाय से इतना भयभीत हैं कि उन्हें लगता है कि इनके आने से उनके देश में भी वही स्थिति पैदा हो जाएगी जो कुछ वर्ष पहले म्यंमार में और हाल ही में बांग्लादेश में हुई. 

आपको बता दें कि थाईलैंड और मलेशिया की तरह इंडोनेशिया भी संयुक्त राष्ट्र के 1951 शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. इसका मतलब ये है कि इंडोनेशिया किसी भी शरणार्थी को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है. अगर वो चाहे तो उन्हें अस्थायी आश्रय दे सकते हैं लेकिन जिस तरह से इंडोनेशिया में रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर विरोध देखने को मिल रहा है ऐसे में इनका वहां रुकना मुमकिन नहीं है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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