देश – Illegal nursing homes registration delhi government asks dghs details of 7 officials for probe saurabh bhardwaj | अवैध नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन की जांच के लिए दिल्ली सरकार ने DGHS से 7 अधिकारियों का विवरण मांगा- #INA

दिल्ली का स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज

दिल्ली सरकार ने निजी नर्सिंग होम के कथित अनियमित और अवैध लाइसेंस की सतर्कता जांच के संबंध में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) को सात अधिकारियों का विवरण देने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को भेजे पत्र में कहा कि सतर्कता निदेशालय ने इस मामले में सात अधिकारियों का विस्तृत बायोडाटा मांगा है, साथ ही प्रत्येक आरोपी अधिकारी की भूमिका और जिम्मेदारियां बताने वाली विशिष्ट सिफारिशें भी मांगी हैं.

मई में नवजात शिशु अस्पताल में आग लगने से छह नवजात शिशुओं की मौत के बाद, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी नर्सिंग होम के पंजीकरण और नियामक प्रबंधन की व्यापक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) जांच का आदेश दिया था.

दिल्ली में चल रहे कई अवैध नर्सिंग होम

जांच के निर्देश देते हुए सक्सेना ने कहा था कि 1,190 नर्सिंग होम हैं, जिनमें से एक चौथाई से अधिक बिना वैध पंजीकरण के चल रहे हैं. मई में सक्सेना ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी आरएन दास को कथित तौर पर निजी नर्सिंग होम के अनियमित और अवैध पंजीकरण में शामिल होने के लिए निलंबित कर दिया था, जिसमें विवेक विहार का मामला भी शामिल था, जहां आग लगने से छह नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी.

एसीबी कर रही मामले की जांच

राजधानी में नर्सिंग होम के पंजीकरण और नवीनीकरण के मामले में स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की जांच में पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग और डीजीएचएस के अधिकारी नर्सिंग होम और अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करने में विफल रहे. लाइसेंस के नवीनीकरण के आवेदन को छह से एक साल तक लंबित रखा गया.

कुछ दिन पहले एसीबी ने सतर्कता निदेशालय को रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें कहा गया था कि साल 2020-21 से कई नर्सिंग होम का निरीक्षण तक नहीं हुआ. वहीं एसीबी ने जिन 65 नर्सिंग होम का निरीक्षण किया उनमें से करीब 13 स्वास्थ्य विभाग बिना लाइसेंस के या फिर समाप्त हो चुके लाइसेंस के साथ चल रहे थे. वहीं 4 नर्सिंग होम ऐसे भी थे जिन्होंने लाइसेंस के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया था. इसके साथ ही जांच में यह भी पता चला कि कई नर्सिंग होम में योग्य डॉक्टर भी नहीं थे. रिपोर्ट कहा गया था कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की इन नर्सिंग होम के संचालकों और डॉक्टरों के साथ सांठगांठ थी.

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