Noida – अथॉरिटी ने ईडी को भेजा पत्र, हैसिंडा पर बकाया 191 करोड़ की वसूली का किया अनुरोध – #INA
Noida News :
नोएडा में हैसिंडा प्राेजेक्ट के मामले में नोएडा अथॉरिटी ने प्रवर्तन निदेशालय ईडी को पत्र भेजा है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि हैसिंडा पर नोएडा प्राधिकरण का 191 करोड़ 93 लाख रुपये बकाया है। इसकी वसूली करते हुए नोएडा अथॉरिटी के पक्ष में जमा कराया जाए।
नोएडा अथॉरिटी के सीईओ ने भेजा पत्र
नोएडास अथॉरिटी के सीईओ डा लोकेश एम ने लखनऊ स्थित कार्यालय में बैठने वाले ईडी के उपनिदेशक को पत्र लिखा है। गुरुवार को भेजे गए पत्र में नोएडा अथॉरिटी ने अपने बकाया और उसकी वसूली करते ईडी द्वारा करने की मांग करते हुए यह अनुरोध किया है कि इस पैसे को नोएडा अथॉरिटी के पक्ष में जमा किया जाए। पत्र में बताया गया है कि नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग के लिए जीएच-1 ए बीटा-1 सेक्टर-107 में भूखंड का आवंटन किया था।
नोएडा ने हैसिंडा को दी थी 67 हजार वर्ग मीटर भूमि
नोएडा अथॉरिटी में सीईओ रहते हुए मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में ही हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को करीब 67 हजार वर्ग मीटर भूमि अपार्टमेंट बनाने के लिए दी गई थी। बाद में हैसिंडा ने इसमें से 27 हजार वर्ग मीटर भूमि दूसरे बिल्डर को 236 करोड़ रुपये में बेचकर पूरी रकम हड़प ली थी और अथॉरिटी को कोई भुगतान नहीं किया था।
ईडी कर रही है जांच
ईडी नोएडा हैंसिडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लोट्स 300 प्रोजेक्ट की जांच कर रही है। इस मामले में ईडी ने शारदा एक्सपोर्ट के मालिक के साथ कथित तौर पर मिलीभगत में शामिल सेवानिवृत्त आईएएस माहिंदर सिंह के परिसरों पर व्यापक छापेमारी की थी। जिसमें करोड़ों रुपये के हीरे, जेवरात, नकदी और प्राॅपर्टी के कागजात मिले थे। ईडी की छापेमारी के दौरान चंडीगढ़ स्थित मोहिंदर सिंह के घर से 7 करोड़ रुपये के हीरे और मेरठ स्थित आदित्य गुप्ता के घर से 5 करोड़ रुपये के हीरे बरामद हुए थे।
प्राधिकरण के प्रयास रहे विफल
नोएडा अथॉरिटी के तमाम प्रयास के बाद भी बिल्डर से पैसा निकलवाने में कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। लगातार नोटिस दिए जाने के बाद भी नोएडा अथॉरिटी को 191.93 करोड़ रुपये में से एक पैसा भी नहीं मिल सका। ऐसे में जांच में सहयोग करने और बकाया पैसा दिलाने के लिए अथॉरिटी के सीईओ ने प्रवर्तन निदेशालय के उपनिदेशक को लखनऊ पत्र लिखा है।
करोड़ों रुपये निवेशकों से भी ठगे
बता दे कंपनी के निदेशकों पर आरोप था कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट के नाम पर निवेशकों से रकम जुटाई, जिसे बाद में अपने दूसरे प्रोजेक्ट में हस्तांतरित कर दिया। निवेशकों को जिस क्षेत्रफल का फ्लैट देने का कंपनी ने वादा किया था, उसे भी पूरा नहीं किया। हाईकोर्ट के आदेश पर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। अदालत ने अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई जारी रखने को कहा था।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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