देश – दिल्ली पुलिस की पहली FIR की कहानी, क्या था जुर्म?- #INA
दिल्ली पुलिस (डिजाइन इमेज)
18 अक्टूबर की तारीख दिल्ली पुलिस के लिए यादगार है. क्योंकि 165 साल पहले आज ही के दिन यानि 18 अक्टूबर को यहां पहली FIR दर्ज हुई थी. मामला सब्जी मंडी थाने का था. पुलिस के पास इस दिन पहली तहरीर आई. मामला 45 आने यानि 2.80 रुपये कीमत के सामान की चोरी का था. उस वक्त दिल्ली, पंजाब प्रांत का हिस्सा था. केस की खास बात ये थी कि FIR आधी उर्दू और आधी फारसी भाषा में लिखी गई थी.
उस वक्त उर्दू और फारसी उत्तर भारत में प्रचलित भाषाएं थीं. कोर्ट और पुलिस दस्तावेज में इन दो भाषाओं का उपयोग किया जाता था. जानकारी के मुताबिक, इस पहली FIR को सब्जी मंडी थाना क्षेत्र में कटरा शीश महल के रहने वाले मोहम्मद ए.आर. खान के बेटे मैउद्दीन ने पंजीकृत कराया था.
यह मामला चोरी का पहला पंजीकृत मामला है. चोरी की गई वस्तुओं में महिलाओं के कपड़े, एक हुक्का, खाना पकाने के तीन छोटे बर्तन (देगची), एक कटोरा, और अन्य सामान शामिल थे. उस वक्त इस सामान की अनुमानित कीमत ’45 आने’ यानि 2.80 रुपये थी.
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सब्जी मंडी क्षेत्र का इतिहास 1861 के भारतीय पुलिस अधिनियम के लागू होने से जुड़ा हुआ है. सब्जी मंडी, दिल्ली का पहला पुलिस स्टेशन था, जिसे आधिकारिक तौर पर 18 अक्टूबर 1861 को स्थापित किया गया था.
दिल्ली पुलिस का इतिहास
दिल्ली पुलिस का इतिहास काफी साल पुराना है. पहले कोतवाल मलिक उल उमरा फखरूद्दीन थे. वह सन् 1237 ईसवी में 40 की उम्र में कोतवाल बने. कोतवाल के साथ उन्हें नायब ए गिब्त (रीजेंट की गैरहाजिरी में) भी नियुक्त किया गया था. अपनी ईमानदारी के कारण ही वह तीन सुलतानों के राज-काल में लंबे अर्से तक इस पद पर रहे. 1857 की क्रांति के बाद फिंरंगियों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और उसी के साथ दिल्ली में कोतवाल व्यवस्था भी खत्म हो गई. उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू के दादा और पंडित मोती लाल नेहरू के पिता पंडित गंगाधर नेहरू दिल्ली के कोतवाल थे.
कब मिला पुलिस को संगठित रूप
1857 में अंग्रेजों ने पुलिस को संगठित रूप दिया. उस समय दिल्ली पंजाब का हिस्सा हुआ करती थी. 1912 में राजधानी बनने के बाद तक भी दिल्ली में पुलिस व्यवस्था पंजाब पुलिस की देखरेख में चलती रही. उसी समय दिल्ली का पहला मुख्य आयुक्त नियुक्त किया गया था. जिसे पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजी के अधिकार दिए गए थे उसका मुख्यालय अंबाला में था. 1912 के गजट के अनुसार उस समय दिल्ली की पुलिस का नियत्रंण एक डीआईजी रैंक के अधिकारी के हाथ में होता था. दिल्ली में पुलिस की कमान एक सुपरिटेंडेंट(एसपी)और डिप्टीएसपी के हाथों में थी.
उस समय दिल्ली शहर की सुरक्षा के लिए दो इंस्पेक्टर, 27 सब-इंस्पेक्टर, 110 हवलदार, 985 सिपाही और 28 घुड़सवार थे. देहात के इलाके के लिए दो इंस्पेक्टर थे. उनका मुख्यालय सोनीपत और बल्लभगढ़ में था. उस समय तीन तहसील-सोनीपत,दिल्ली और बल्लभगढ़ के अंतर्गत 10 थाने आते थे. दिल्ली शहर में सिर्फ तीन थाने कोतवाली, सब्जी मंडी और पहाड़ गंज थे. सिविल लाइन में पुलिस बैरक थी. कोतवाली थाने की ऐतिहासिक इमारत को बाद में गुरूद्वारा शीश गंज को दे दिया गया. देहात इलाके के लिए 1861 में बना नांगलोई थाना 1872 तक मुंडका थाने के नाम से जाना जाता था.
16 फरवरी दिल्ली पुलिस का स्थापना दिवस
दिल्ली पुलिस का 1946 में पुनर्गठन किया और पुलिसवालों की संख्या दोगुनी कर दी गई. 1948 में दिल्ली में पहला पुलिस महानिरीक्षक डी डब्लू मेहरा को नियुक्त किया गया. उनकी नियुक्ति 16 फरवरी को की गई थी इसलिए 16 फरवरी को दिल्ली पुलिस का स्थापना दिवस मनाया जाता है. 1 जुलाई 1978 से दिल्ली में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई.
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