Noida – जानें क्या है महत्व और पूजा विधि, भगवान कृष्ण से है खास जुड़ाव – #INA
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दिवाली उत्सव का आखिरी दिन भाई दूज, भाऊ बीज या भैया दूज के रूप में मनाया जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच विशेष रिश्ते का जश्न मनाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाई दूज रविवार को है। आज हम इस त्योहार के इतिहास और महत्व को जानेंगे।
यह है इतिहास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने उनका स्वागत मिठाई और फूलों से किया और उनके माथे पर तिलक लगाया। तब से इस दिन भाई दूज मनाई जाती है। एक अन्य कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे। जिन्होंने उनका स्वागत तिलक समारोह के साथ किया था। तब यम ने फैसला किया कि इस दिन जो कोई भी अपनी बहन से तिलक और मिठाई प्राप्त करेगा, उसे दीर्घायु का आशीर्वाद मिलेगा।
ऐसे मनाते हैं
इस दिन बहनें अपने भाई की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक या सिंदूर लगाकर और फिर मिठाई, रोली और नारियल से भरी रंग-बिरंगी थाली लेकर उनकी आरती करके इस अवसर का सम्मान करती हैं। फिर वे स्वादिष्ट व्यंजनों से अपना मुंह मीठा करती हैं और बदले में बहनों को उनके भाई उपहार देते हैं।
तिथि और शुभ मुहूर्त
भाई दूज अपराहन का समय दोपहर 12:49 बजे से दोपहर 03:07 बजे तक 2 घंटे 17 मिनट की अवधि के लिए है। यम द्वितीया रविवार, 3 नवंबर, 2024 को: द्वितीया तिथि प्रारंभ – 02 नवंबर, 2024 को रात 08:21 बजे, द्वितीया तिथि समाप्त – 03 नवंबर, 2024 को रात 10:05 बजे।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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