Noida – एक लाख से ज्यादा शब्दों वाले दुनिया के सबसे बड़े संविधान के बारे में जानें ये 10 अहम बातें – #INA

Greater Noida Desk :
भारत का संविधान दुनिया में सबसे बड़ा है। इसमें 488 अनुच्छेद, 25 भाग, 12 अनुसूचियां और 106 संशोधन हैं। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें 1,17,369 शब्द हैं। दुनिया के किसी भी देश के संविधान में इतने ज्यादा शब्द नहीं है। आज हम आपको इसकी 10 मुख्य बात बताएंगे, जो आपके लिए जानना बेहद आवश्यक है।

पहली बात

वर्ष 1934 में मानवेन्द्रनाथ राय ने पहली बार औपचारिक संविधान सभा की मांग की। जिसके बाद भारत सरकार एक्ट 1935 के तहत संविधान की अनुमति प्राप्त की गई। 9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 यानि दो साल, ग्यारह महीने, अठारह दिन में संविधान बनकर तैयार हुआ।

दूसरी बात

संविधान की मूल प्रति 16 इंच चौड़ी है और 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है। इसे सबसे पहले अंग्रेजी में लिखा गया था। फिर डॉ.राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में इसका हिंदी अनुवाद किया गया।

तीसरी बात

पहले संविधान की अंग्रेजी और हिन्दी दोनों प्रतियां छपवाईं या टाइप नहीं करवाई गई थीं। प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा जी ने मोती जैसे अक्षरों में इसे हाथ से लिखा और नंदलाल बोस की अगुवाई में शांति निकेतन के कलाकारों ने इसके चित्रण का काम किया।

चौथी बात

ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को ‘संविधान का जनक’ कहा जाता है। वहीं, संविधान पर पहला हस्ताक्षर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने किया था।

पांचवीं बात

संविधान लागू होने के बाद से ही हर भारतीय महिला को मतदान का अधिकार प्राप्त है। संविधान सभा में भी 15 महिला सदस्य थीं, जिन्होंने महिला अधिकार और सामाजिक सुधार सहित कई महत्वपूर्ण हिस्सों में संशोधन किए।

छठी बात

संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे, जिन्होंने संविधान के पहले ड्राफ्ट से आखिरी ड्राफ्ट तक 2,000 से अधिक सुझाव दिए थे।

सातवीं बात

संविधान हर भारतीय को 6 प्रकार के मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। जो समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, संवैधानिक उपचार का अधिकार है।

आठवीं बात

11 दिसंबर 1949 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रामलीला मैदान (दिल्ली) में संविधान की प्रति और बाबासाहेब अंबेडकर का पुतला जला दिया। हिन्दू कोड बिल में महिलाओं को मिले संपत्ति और तलाक के अधिकार के खिलाफ यह RSS के विरोध का तरीका था।

नौवीं बात

संवैधानिक उपचार की बात करने वाले अनुच्छेद 32 को ‘भारतीय संविधान की आत्मा’ कहते हैं। अनुच्छेद 32 के तहत अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कोई भी भारतीय नागरिक सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है।

दसवीं बात

भारत का संविधान दृढ़ भी है और लचीला भी है। समय-समय पर इसमें संशोधन किए जाते रहे हैं।  वर्ष1951 में पहली बार ऐसा हुआ, तब से आज तक 106 संवैधानिक संशोधन हो चुके हैं।

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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम

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