सेहत – क्या सच है नीम के दुकानदारों में होते हैं कैंसर रोधी गुण? इस बारे में क्या कहा गया है रिस्पेक्ट, यहां पर पूरी बात
आज़ादिरैक्टा इंडिका की कैंसररोधी गतिविधि: नवजोत सिंह वकील ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उनकी पत्नी का कैंसर शोक, नीम के पत्ते, हल्दी और नींबू पानी से सिर्फ 40 दिन में ठीक हो गया था, तो नीमा को लेकर बहस तब शुरू हो गई है। हर कोई नीम के पत्ते, हल्दी हल्दी और नींबू के पानी के गुणों के बारे में जानना चाहता है। इनमें सभी नीडल को लेकर अब तक अनमोल उत्पाद और कई औषधीय गुण सामने आए हैं। नीम के चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेद में कई तरह के उपचारों का प्रयोग किया जाता है। कई अध्ययनों में भी नीम के शिष्यों को स्वास्थ्य के लिए गौरवान्वित माना गया है। अब सवाल है कि क्या नीम के रेस्तराँ में कैंसर रोधी गुण होते हैं? इस बारे में रिसर्च में क्या पता चला है। इसकी ऐतिहासिक जान-लेवलें हैं।
यूएस का नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन फॉर्मेशन रिपोर्ट के अनुसार नीम का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में तीन वर्षों से किया जा रहा है। कई अध्ययनों में नीम के चिकित्सकों को कैंसर रोधी गुण पाए गए हैं। नीम के बीज, पत्ते, फूल और फलों को कैंसर की रोकथाम वाले गुण से परिपूर्ण माना गया है। नीम में एजाडिरेक्टिन और निंबोलाईड जैसे बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं पर पॉजिटिल प्रभाव डालते हैं। नीम के कई कंपाउंड कैंसर सेल को अलग-थलग कर दिया गया है और उन्हें खत्म करने में मदद की जा रही है। नीम के कुछ कंपाउंड का असरदार कैंसर सेल्स पर होता है असर, क्योंकि ये आम कैंसर पर बहुत कम असरदार होते हैं। नीम के अर्क कैंसर सेल्स को इम्यूनोप्लास्टी और रेडियोओलाइक्स के प्रति अधिक सेंस सेंसुअल बनाया जा सकता है।
2011 में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें नीम के आर्क में विभिन्न प्रकार के कैंसर रोधी गुणों का परीक्षण किया गया था। इस अध्ययन में पाया गया कि नीम के रोगियों में पाए जाने वाले एजाडिरेक्टिन कैंसर सेल्स के प्रोलिफ़ेशन ऑपरेशन जैसे बायोप्लास्टिक कंपाउंड्स मोटापे और एपोप्टोसिस को प्रेरित करते हैं। इसके अलावा इस अध्ययन में बताया गया है कि नीम के डॉक्टर के आर्क ने कैंसर के अध्ययन और मॉलिक्यूलर स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाला, जिससे कैंसर की वृद्धि और कैंसर की दवा को नुकसान हो सकता है।
इसे लेकर साल 2013 में भी एक अध्ययन किया गया था, जिसमें नीम के आर्क के एंटीट्यूमर और एंटीप्रोलीफेरिवेटिव इफेक्ट्स पर अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में नीमा के आर्किटेक्ट के आर्क को कोलन और क्वेश्चन कैंसर जैस कैंसर के अध्ययन पर परीक्षण किया गया था। कबाड़ी ने पाया कि इसमें नीम के पत्ते का आकार कम हो गया है और कैंसर के विकास को रोकने में मदद मिली है। नीम के रसायनों के आर्क से कोशिकाओं में रेडॉक्स संतुलन बहाल होता है, जो कैंसर के ऊतकों के चयापचय को प्रभावित करता है और उन्हें नष्ट करने में मदद करता है। यह शोध नीम के डॉक्टर के कैंसर विरोधी गुण को दर्शाता है और अन्य चिकित्सीय लाभों को शामिल करता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी मानना है कि नीम के डॉक्टरों में कैंसर रोधी गुण होते हैं, लेकिन इसका पता लगाने के लिए कई चरणों का परीक्षण किया जाता है। सबसे पहला टेस्ट ट्यूब प्रयोग किया गया है। सफल होने के बाद इसमें छोटे जानवरों का परीक्षण किया गया। फिर से इसे बड़े जानवरों का परीक्षण किया गया है। फिर व्यापारिक इंसानों पर किसी भी चीज़ का परीक्षण किया जाता है। इसमें यह भी देखा गया है कि पहले से मौजूद औषधियां बेहतर हैं या नहीं। इसके बाद ही खुराक आदि के बारे में रिसर्च की टेबल पर उत्पाद औषधि का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में किसी भी चीज को सीधे खा लेना स्वादिष्ट होगा या नहीं, इसके बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा.
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पहले प्रकाशित : 27 नवंबर, 2024, 12:23 IST
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