देश – बिश्नोई समाज की अनोखी गोशाला, 250 नेत्रहीन गाय, ऐसे कर लेती हैं अपनों की पहचान- #INA

सांकेतिक तस्वीर

बिश्नोई समाज को जानवरों की रक्षा के लिए जाना जाता है. समाज के संस्थापक जगद्गुरु जम्भेश्वर महाराज के नाम पर एक ऐसी गोशाला है जिसमें 250 से ज्यादा नेत्रहीन गाय हैं. इन सभी गायों को अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने रेस्क्यू किया. इनकी अच्छी देखभाल की जाती है. गोशाला में रहकर यह गाय चीजों को समने लगी हैं. उन्हें आंखों से भला न दिखता हो लेकिन यह हर आने-जाने वाले लोगों और गाड़ियों को पहचानती हैं. इंसानों की आवाज से अपने-पराये का पता कर लेती हैं.

यह अनोखी विशेषता वाली गोशाला बीकानर के नोखा तहसील स्थित मुकाम गांव में है. यह वही गांव है जहां जगद्गुरु जम्भेश्वर महाराज का समाधि स्थल है, जिसे मुक्तिधाम मुकाम के नाम से भी जाना जाता है. यहां अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा गोशाला की देखभाल करती है. इस गोशाला का निर्माण 1999 में बेसहारा गायों की देखभाल और उनके रहने के लिए किया गया था. गोशाला में 1700 से अधिक गोवंश हैं. इनमें सैकड़ों गोवंश ऐसे हैं जो बीमार और दिव्यांग हैं. यहां उनका इलाज किया जाता है.

गोशाला में 250 नेत्रहीन गोवंश

यह गोशाला बीकानेर से 80 किलोमीटर दूर है. गोशाला के अध्यक्ष कृष्ण सिंगड़ ने मीडिया को बताया कि यहां अधिकतर गोवंश ऐसे हैं जिन्हें बीमार, बांझपन के शिकार, नेत्रहीन या दूध नहीं देने पर मालिक छोड़ देते हैं. गोशाला में 250 से अधिक गोवंश नेत्रहीन हैं. इनकी देखभाल के लिए 24 लोग लगे रहते हैं. इन्हें समाय पर खाना पानी दिया जाता है. इनमें कई गोवंश ऐसे हैं जो बचपन से अंधेपन का शिकार हैं और उन्हें बछड़े-बछड़ी का जन्म होने पर मालिक गोशाला में छोड़ गए.

अपनों की कर लेती हैं पहचान

कृष्ण सिंगड़ बताते हैं कि गोशाला में मौजूद नेत्रहीन गाय ट्रेंड हो गई हैं. उन्हें हर आने जानें वालों की गतिविधियों की जानकारी हो जाती है. वह बताते हैं कि गोशाला में आने वाली गाड़ियों की आवाज से वह उसे पहचान लेती हैं. इंसानों की आवाज सुनकर वह महसूस कर लेती हैं कि यह गोशाला में रहने वाला शख्स है या बाहरी व्यक्ति है. यह नए और पुराने व्यक्तियों में अंतर कर लेती हैं. वह बताते हैं कि नेत्रहीन गायें चारा और खाने की चीजों को गंध से महसूस कर लेती हैं. वह बताते हैं कि गोशाला में एक एम्बुलेंस भी है जिसके जरिए सूचना मिलने पर घायल गोवंशों को रेस्क्यू कर यहां लाया जाता है.

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