J&K – Jammu Terror Attack: किसके इशारे पर काम करता TRF, कौन है इसका आका? गांदरबल हमले से जुड़ा नाम; जानें सबकुछ – #NA

जम्म-कश्मीर के गांदरबल जिले सोनमर्ग के पास गगनगीर इलाके में जेड मोड़ सुरंग निर्माण कर रही कंपनी में कार्यरत प्रवासी मजदूरों पर रविवार की रात आतंकियों ने हमला कर दिया। हमले में सात लोगों की मौत हो गई, जबकि कुछ अन्य मजदूर घायल हुए हैं। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। 

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में बैठा टीआरएफ प्रमुख शेख सज्जाद गुल इस हमले का मास्टरमाइंड है। शेख सज्जाद गुल के इशारे पर ही टीआरएफ के लोकल माड्यूल ने इस हमले को अंजाम दिया है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने पहले से ही मजदूरों की मूवमेंट की जानकारी कर रखी थी। उनके आने-जाने के समय की उन्हें सटीक जानकारी थी। यही वजह है कि जैसे ही कर्मचारी कैंप में वाहन से पहुंचे उन्हें संभलने तक का मौका नहीं दिया गया। आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी। कुछ मजदूर भागने लगे तो आतंकियों ने उन्हें भी निशाना बनाकर फायरिंग की। सूत्र बताते हैं कि अमरनाथ यात्रा मार्ग पर यह इलाका अपेक्षाकृत शांत रहा है। आसपास के इलाकों में सड़क किनारे दोनों ओर घने जंगल हैं। हमले के बाद दहशतगर्द जंगल में भाग निकले।


कब सामने आया यह संगठन?
टीआरएफ की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। 

कौन है टीआरएफ का आका?
टीआरएफ के उदय की असल कहानी पाकिस्तान से शुरू होती है। घाटी में बढ़ती आतंकी घटनाओं के साथ-साथ पाकिस्तान का छुपा चेहरा दुनिया के सामने आने लगा था। धीरे-धीरे पाकिस्तान पर अपने यहां पनप रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता जा रहा था। पाक समझ चुका था कि उसे अब लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर कुछ कार्रवाई करनी ही होगी, लेकिन उसे यह भी डर था कि इससे कश्मीर में उसकी जमीन खिसक सकती है। ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए तैयबा ने मिलककर नए आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की नींव रखी। 


क्या है टीआरएफ का मकसद?
खास तौर पर टीआरएफ को फाइनेंसिशयल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की कार्रवाई से बचने के लिए बनाया गया था। दरअसल, एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखा था। इसके साथ ही उस पर कई प्रतिबंध भी लगाने शुरू कर दिए थे, जसके बाद टीआरएफ अस्तित्व में आया। इसका मकसद घाटी में फिर से 1990 वाला दौर वापस लाना है। टीआरएफ का मुख्य उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा मामले में पाकिस्तान पर बढ़ते दबाव को कम करना व पाकिस्तानी में स्थानीय आतंकवाद को बढ़ावा देना है।
 
कैसे तय होता है टीआरएफ का शिकार?
आपने बीते कुछ महीनों में कश्मीर में टारगेट किलिंग के कई मामले देखे होंगे। इनमें से अधिकतर के पीछे टीआरएफ का ही हाथ था। टीआरएफ के हैंडलर सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। इसके साथ ही वे सोशल मीडिया पर कश्मीर के अंदर होने वाली हर राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखते हैं। इसके जरिए यह संगठन अपने टारगेट को भी चुनता हैं। बीते दिनों टीआरएफ कई लोगों की हिटलिस्ट भी जारी कर चुका है। कई भाजपा नेता, सैन्य व पुलिस अधिकारी भी इस आतंकी संगठन के टारगेट पर रहते हैं। 

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