खबर मध्यप्रदेश – Ujjain Mahakal Temple: कितनी मजबूत हैं महाकाल मंदिर की दीवारें और शिखर? एक्सपर्ट कर रहे जांच – INA
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान सीबीआरआई रुड़की की टीम पहुंची है. टीम ने सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर विराजमान भगवान श्री नागचंदेश्वर के मंदिर पर पहुंचकर दीवारों की जांच की साथ की कुछ नमूने भी इकट्ठे किए. टीम इस बात की जांच पर जोर दे रही थी कि महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे हैं नए निर्माण कार्य के कारण कहीं पुराने स्ट्रक्चर की मजबूती में कोई कमी तो नहीं आ रही है?
वैसे तो श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर 6 महीने में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई), जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के विशेषज्ञों की टीम पहुंचकर यहां पर विभिन्न प्रकार की जांच करती ही है. मंगलवार दोपहर को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की की टीम के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर शिवा चिदंबरम और एक अन्य सहायक महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे. जहां उन्होंने मंदिर की जांच शुरू की.
सबसे पहले यह टीम श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंची जहां की दीवारों की दीवारों की जांच की गई. कुछ देर मंदिर में रुकने के बाद टीम ने कुछ पत्थरों के सैंपल लिए. इस दौरान टीम के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के सहायक प्रशासक प्रतीक द्विवेदी भी उपस्थित थे. उन्होंने बताया कि यह टीम मंदिर की मजबूती का निरीक्षण करने के लिए उज्जैन आई है. जिन्हें हमारे द्वारा ही बुलाया गया है. टीम कितने दिन तक उज्जैन रहेगी और जांच के दौरान क्या-क्या किया जाएगा इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया.
पुराने और नए निर्माण दोनों पर नजर
रुड़की से जांच करने आई टीम के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर शिवा चिदंबरम से जब यह जानने की कोशिश की गई कि टीम महाकालेश्वर मंदिर में किस चीज की जांच कर रही है और क्या जांच के दौरान क्या सब कुछ सही पाया गया है? सभी सवालों के जवाब में उन्होंने फिलहाल कुछ भी नहीं कहा है. हो सकता है कि जांच के बाद टीम किसी तरह के नतीजे पर पहुंचकर जानकारी शेयर करे.
जांच में पत्थरों का घनत्व, नींव की गहराई
सीबीआरआई की टीम महाकालेश्वर मंदिर में जो जांच कर रही है उसका प्रमुख बिंदु सिर्फ यही है कि नवीन और प्राचीन निर्माण के दौरान मंदिर का स्ट्रक्चर पहले जैसा मजबूत है या फिर नहीं? इस जांच में शिखर पर स्थित पत्थरों की जांच, उनका घनत्व, सामग्री और नींव की गहराई से लेकर नए निर्माण के प्रभाव तक के विभिन्न पहलुओं की जांच की जा रही है.
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