खबर शहर , मदरसे में नकली नोट छापने का मामला : पाकिस्तान से जुड़े हो सकते हैं गिरोह के तार, जांच में जुटीं एजेंसियां – INA

नकली नोट छापने वाले गिरोह के भंडाफोड़ की सूचना पर बुधवार को इंटेलिजेंस ब्यूरो की दो सदस्यीय टीम ने भी चारों आरोपियों से गहन पूछताछ की। टीम ने उनके घर-परिवार के साथ अन्य जानकारियां लीं। इसके साथ ही गिरफ्तारी करने वाली टीम में शामिल पुलिसकर्मियों से भी बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ के आधार पर ही टीम रिपोर्ट मुख्यालय भेजेगी और फिर वहां से मिले दिशा-निर्देशों के तहत कार्रवाई करेगी।

कहां से मिलते थे नोट के कागज

जांच एजेंसी की मानें तो आरोपियों के तार सीमा पार पाकिस्तान और दूसरे देशों से भी जुड़े हो सकते हैं। बड़े नोट की जांच पड़ताल दुकानदार के द्वारा करने के चलते यह लोग छोटे नोट छापकर बाजार में खपाते थे। नोट के कागज कहां से मिलते थे और स्याही आदि कहां से मुहैया कराई जाती थी इसकी जानकारी जांच एजेंसियों ने खंगालनी शुरू कर दी है। आम तौर पर नोट के कागज अन्य कागजों से अलग होते हैं जो पानी में भीगने में भी खराब नहीं होते हैं। यह लोग असली नोट के कागज का ही इस्तेमाल करते थे। जिससे जाहिर है कि इन्हें कहीं से कागज मिलता होगा। 

छोटे दुकानों में खपाते थे नोट

मदरसे में छपने वाले नकली नोटों को पहले छोटी दुकानों में खपाया गया। अब बड़े पैमाने पर इनकी सप्लाई की तैयारी चल थी। बदमाशों की कौशाम्बी निवासी एक युवक से इस संबंध में डील भी हो गई थी। आरोपियों ने पूछताछ में इसका खुलासा किया है।

जाहिर ने बताया कि अफजल और शाहिद ने कौशाम्बी के एक युवक से डील की थी। उसे 45 हजार के नकली नोट देने थे। कुछ दिनों पहले ही उसे सिविल लाइंस बुलाकर नकली नोट दिखाए गए थे। उसने दो नोट लेकर मार्केट में चलाए भी थे।

इसके बाद युवक ने अफजल व शाहिद से दोबारा संपर्क किया और 45 हजार मूल्य के नोट की डील की। इसके अलावा कई अन्य लोगों से भी बात हुई थी। पुलिस अफसरों ने बताया कि कौशाम्बी निवासी युवक के बारे में जानकारी ली जा रही है।


… तो आतंकवादी कृत्य की श्रेणी में आएगा अपराध

पुलिस अफसरों ने बताया कि आरोपियाें के कब्जे से बरामद नकली नोटों के नमूने को जांच के लिए भेजा जाएगा। अगर जांच में यह पाया गया कि उपरोक्त नोट उच्च गुणवत्ता वाली नकली कागजी मुद्रा है तो यह कृत्य आतंकवाद की श्रेणी में आएगा। इसके बाद उन पर संबंधित कानून के तहत केस चलेगा। गौरतलब है कि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 178 से 182 के तहत करेंसी नोटों की जालसाजी अपराध है।


क्या बैंकों में भी लगाई सेंध, आरबीआई में पहुंचे हैं नकली नोट

जिले में नकली नोट बनाने वाले गिरोह के पकड़े जाने के बाद यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस गिरोह ने बैंकों में भी सेंध लगाई। दरअसल हाल ही में जनपद स्थित बैंकों से आरबीआई के करेंसी चेस्ट में नकली नोट पहुंचने के कई मामले सामने आए। इनमें आरबीआई अफसर ने करीब 12 मामले भी दर्ज कराए गए हैं, जिनकी विवेचना चल रही है।

आरबीआई के दावा अनुभाग के प्रबंधक आईपीएस गहलोत ने खुल्दाबाद, कीडगंज, सिविल लाइंस व कर्नलगंज थानों में केस दर्ज कराए हैं। इनमें बताया गया है कि संबंधित थाना क्षेत्र स्थित विभिन्न बैंकों से आरबीआई के करेंसी चेस्ट में भेजी जाने वाली रकम में नकली नोट पाए गए। इनमें 100 से लेकर 500 और दो हजार तक के नोट शामिल हैं।

उधर, बुधवार को पकड़े गए गिरोह के बदमाशों ने फिलहाल सिर्फ 100 रुपये के नोट की छपाई की बात कबूली है। ऐसे में अब यह भी सवाल उठ रहे हैं कि गिरोह के तैयार किए गए नकली नोट कहीं बैंकों तक तो नहीं पहुंच गए।

डीसीपी दीपक भूकर ने बताया कि आरबीआई की ओर से दर्ज कराए गए मामलों की विवेचना चल रही है। जो भी नकली नोट उपलब्ध कराए गए थे, उन्हें परीक्षण के लिए प्रिंटिंग प्रेसों में भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद . की कार्रवाई की जाएगी।


आलिम की पढ़ाई कर चुका है सरगना

मदरसे में नकली नोट छापने वाले गिरोह का सरगना जाहिर (23) आलिम की पढ़ाई कर चुका है। वह मौलवी तफसीरुल (25) के गांव का रहने वाला है। पुलिस इसका भी पता लगाने में जुटी है कि दोनों का कनेक्शन नकली नोट की तस्करी में लिप्त किसी बड़े गिरोह से तो नहीं है।

पुलिस ने बताया कि चार-पांच साल पहले जाहिर अतरसुइया स्थित मदरसे में पढ़ाई करने ओडिशा से आया था। पढ़ाई के बाद उसे मदरसे में मौलवी बना दिया गया और यहीं रहकर बच्चों को पढ़ाने लगा। वह तफसीरुल के साथ मदरसे के एक कमरे में नकली नोट बनाने लगा। पुलिस का कहना है कि फिलहाल उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। ओडिशा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है।

अफजल 10वीं तो शाहिद पांचवीं पास

गिरफ्तार अफजल 10वीं पास और शाहिद पांचवीं तक पढ़ा है। अफजल करेली में अंधीपुर मोड़ गौसनगर का जबकि शाहिद करामात की चौकी मोहल्ले का रहने वाला है। अफजल का मदरसे में आना-जाना था। यहीं से वह जाहिर के संपर्क में आया।


भीड़भाड़ वाले स्थानों पर चलाते थे नोट

आरोपियों ने बताया कि नोट भीड़भाड़ वाले स्थानों पर चलाते थे। रिक्शे, ऑटो, सब्जी, किराना जैसी छोटी दुकानों पर नोट चलाते थे। कम राशि का नोट होने से दुकानदार भी ज्यादा जांच नहीं करते थे, इसलिए नोट पकड़ में नहीं आते थे।

छुट्टी होने पर काम में जुट जाता था मौलवी

जाहिर ने बताया कि मौलवी तफसीरूल पहले बच्चों को पढ़ाता था। छुट्टी होने के बाद वह नकली नोट बनाने में मदद करता था। खासतौर पर वह कटिंग का ही काम करता था। खरीदारी के लिए वह तफसीरुल के साथ स्थानीय बाजारों में नकली नोटों का इस्तेमाल करते थे। उधर, अफजल व शाहिद शहर के अन्य हिस्सों में जाकर इन नोटों को खपाते थे।


Credit By Amar Ujala

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