यूपी- पहले मदरसे में छापे नकली नोट, अब मिलीं RSS विरोधी किताबें… क्या था मौलाना का मास्टर प्लान? – INA
संगम नगरी प्रयागराज के अतरसुईया इलाके के जिस मदरसे में पुलिस ने नकली नोट छापने का भंडाफोड़ किया था, अब वहां एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. मदरसे की जांच के दौरान खुफिया विभाग ने मदरसे के प्रिंसिपल मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन के कमरे की तलाशी ली तो उन्हें कमरे से कई आपत्तिजनक किताबें मिलीं, जिसमें भारत के खिलाफ जहरीली बातें लिखी हुई हैं.
खुफिया विभाग को मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन के कमरे से कई आपत्तिजनक किताबें मिली हैं. कमरे में मिलीं किताबों में RSS के बारे में काफी आपत्तिजनक बातों को लिखा गया है. किताब में लिखा गया है कि RSS ने मुसलमानों के खिलाफ क्या-क्या काम किए हैं. इसके अलावा यह भी लिखा गया है कि RSS के बगैर देश में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है. RSS पूरी तरह एक आतंकवादी संगठन है.
प्रिंसिपल ने कमरे में जाने से किया था मना
किताब सामने आने के बाद मदरसे में खुफिया विभाग की टीम और पुलिस एक बार फिर से पहुंची और मदरसे के इंतजामकार से लंबी पूछताछ की. पुलिस ने मदरसे में रुके सभी मौलानाओं का नाम और पता नोट किया. हालांकि मदरसे के प्रिंसिपल के कमरे से बरामद किताबों के बारे में मदरसे के लोगों को जानकारी नहीं थी. मदरसे के मौलाना का कहना है कि प्रिंसिपल ने सभी को मना किया था कि उसके कमरे में कोई न जाए, इस वजह से वहां कोई नहीं जाता था.
नकली नोटों का धंधा मदरसे में किया था शुरू
मदरसे के लोगों के मुताबिक, प्रिंसिपल ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कि जिससे उनको कभी शक होता. पुलिस ने पिछले हफ्ते इसी मदरसे से नकली नोट छापने का भंडाफोड़ किया था, जिसमें मदरसे के प्रिंसिपल सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था. नकली नोट के बिजनेस का मास्टरमाइंड उड़ीसा का मौलाना जाहिर था और प्रिंसिपल भी उड़ीसा का ही है. दोनों ने मिलकर नकली नोट का धंधा मदरसे में शुरू किया था.
प्रिंसिपल को रिमांड पर लेकर पुलिस करेगी पूछताछ
अब प्रिंसिपल के कमरे से आपत्तिजनक और भड़काऊ किताबें मिलने से मामला फिर एक बार सुर्खियों में आ गया है. पुलिस कोर्ट में रिमांड अर्जी दाखिल करके आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी, जिससे यह साफ हो जाएगा कि उड़ीसा के दोनों मौलाना प्रयागराज में किस मकसद से आए थे और भारत देश को लेकर उनके क्या मंसूबे थे. पुलिस को अब यह भी पता लगाना होगा कि क्या दोनों मौलाना किसी कट्टरपंथी विचारधारा वाले संगठन से तो नही जुड़े थे.
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