यूपी- श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवादः इलाहाबाद HC के फैसले के खिलाफ SC पहुंचा मामला, मुस्लिम पक्ष ने दी चुनौती – INA
मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती है. शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का फैसला उचित नहीं है. साथ ही हाईकोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक लगाकर आगे सुनवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है.
दरअसल मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी. जबकि हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की थी. ऐसे में अब मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
सुप्रीम कोर्ट में सभी तथ्य पेश करेगा ट्रस्ट
वहीं श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा के आशुतोष पांडेय ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका दाखिल होने से पहले ही कैविएट आवेदन दाखिल कर दिया गया था, ताकि एकपक्षीय आदेश जारी न हो, क्यों शाही ईदगाह मस्जिद ने याचिका में हाईकोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. ट्रस्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भी वो सभी तथ्य पेश करेगा, जो हाईकोर्ट में दिए गए थे.
HC ने खारिज की थी मुस्लिम पक्ष की याचिका
मुस्लिम पक्ष ने याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की गई थी. लेकिन हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के सीपीसी के आदेश 7/ नियम-11 का आवेदन खारिज कर दिया था. ये फैसला जस्टिस मयंक जैन बेंच ने सुनाया था और हिंदू पक्ष की अर्जी को सुनवाई योग्य माना था.
हिंदू पक्ष ने दी थी ये दलीलें
कोर्ट में हिंदू पक्ष की तरफ से दायर याचिकाओं में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है. मस्जिद का ढाई एकड़ का एरिया श्रीकृष्ण का गर्भगृह है. इसके साथ ही ये भी दावा किया गया है कि मस्जिद की कमेटी के पास जमीन का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में दलील दी थी कि 1968 में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था, ऐसे में 60 सालों बाद समझौते को गलत मानना ठीक नहीं है.
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