यूपी – भू-अधिग्रहण घोटाला: मुआवजा देना था 60 लाख रुपये, सिफारिश 6 करोड़ की, दोबारा मूल्यांकन में खुलासा – INA

बरेली-सितारगंज हाईवे और बरेली में रिंग रोड के लिए भूखंडों के अधिग्रहण में फर्जीवाड़े की परतें खुलने लगी हैं। सूत्रों के मुताबिक सरनिया गांव में जिस मूल्यांकन में गोदाम की कीमत 30 लाख रुपये आंकी गई, दोगुनी दर से उसका मुआवजा 60 लाख रुपये होना चाहिए था। जिम्मेदारों की मिलीभगत से उसके लिए करीब छह करोड़ रुपये का मुआवजा तय कर दिया गया। गनीमत रही कि भुगतान होने से पहले ही मामला खुल गया। अब मामला आर्बिटेशन (मध्यस्थता) में है।

ऐसा ही एक मामला नवाबगंज तहसील के गांव गरगईया का है। यहां एक प्रॉपर्टी का मूल्यांकन बढ़ाकर किया गया और उसका भुगतान भी हो गया। मोटे तौर पर करीब पौने दो करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आ रही है। बरेली-सितारगंज हाईवे व रिंग रोड के चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में हेराफेरी की गई, ताकि अधिक मुआवजे का भुगतान हो सके।

संबंधित खबर- 
बरेली-सितारगंज हाईवे: भूमि अधिग्रहण में 50 करोड़ रुपये का घोटाला, एनएचएआई के दो अफसर निलंबित

दो अफसर हो चुके हैं निलंबित 

एनएचएआई के चेयरमैन की ओर से कराई गई जांच में भी इसकी पुष्टि हुई थी। तब एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव शर्मा और परियोजना निदेशक बीपी पाठक निलंबित किए गए थे। चेयरमैन के पत्र पर शासन ने दो टीमें गठित कर मामले की विस्तृत जांच शुरू कराई है। 


सीडीओ की अध्यक्षता वाली समिति ने बृहस्पतिवार को भी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कराया। अभियंता सरनिया और गरगईया में पहुंचे। जांच और मूल्यांकन के बाद अभियंता रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट जल्दी ही वरिष्ठ अफसरों को सौंपी जाएगी। 

विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि परिसंपत्तियों का मूल्यांकन एनएचएआई की ओर से नियुक्त मूल्यांकनकर्ता और पीडब्ल्यूडी के अभियंता करते हैं। अभी मूल्यांकन रिपोर्ट नहीं आई है। जांच टीम में शामिल अभियंता ही बता सकते हैं कि वहां मूल्यांकन की क्या स्थिति है। 


अभियंताओं-कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार
ज्वाइंट मेजरमेंट सर्वे से लेकर परिसंपत्तियों का मूल्यांकन फाइनल होने तक प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों, निजी एजेंसी के सर्वेयर और मूल्यांकनकर्ताओं के साथ-साथ लेखपाल और कुछ अन्य कर्मचारियों की भूमिका रहती है। इनकी मूल्यांकन रिपोर्ट को पीडब्ल्यूडी के अभियंता सत्यापित करते हैं। इसलिए तत्कालीन अभियंताओं और कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

जांच टीम अब उन कर्मचारियों और अभियंताओं के नाम भी तलाश रही है, जिनके हस्ताक्षर उस मूल्यांकन रिपोर्ट पर हैं, जिसमें मुआवजा तय किया गया। कितना मूल्यांकन बन रहा था और कितना बना दिया गया, इसका उल्लेख जांच रिपोर्ट में किया जाना है। शासन ने स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है। मंडलायुक्त की ओर से जब यह रिपोर्ट शासन को पहुंचेगी तो संबंधित विभागाध्यक्षों को दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे। 

एनएचएआई की ओर से जिस निजी एजेंसी को सर्वे और मूल्यांकन कराने के बाद मुआवजे का प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, मुख्यालय की ओर से उसके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति पहले ही की जा चुकी है। इस मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया . बढ़ने पर बरेली, पीलीभीत और ऊधमसिंह नगर जिले के तत्कालीन कर्मचारी और अभियंता फंस सकते हैं।


Credit By Amar Ujala

Back to top button