यूपी- ट्रेडिंग एप का फ्रॉड, 70 करोड़ की ठगी करने वाले 2 गिरफ्तार… ऐसे लगाते थे चूना – INA

एसटीएफ मेरठ की टीम ने गाजियाबाद कें इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के वसुंधरा इलाके की मोहन मेकिन सोसाइटी से 2 ठगों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों के नाम विनोद कुमार धामा और रविंदर उर्फ नवाब है. दोनों ही बागपत जिले के निवासी हैं. एसटीएफ ने दोनों की गिरफ्तारी वसुंधरा सेक्टर 5 स्थित मोहन मेकिंन सोसायटी के फ्लैट से की है. गिरफ्तारी के दौरान उनके पास से 6 मोबाइल, कंपनी के अकाउंट नंबर और अन्य कागजात रिकवर किए गए हैं.

जानकारी के मुताबिक दोनों आरोपियों पर नोएडा के सेक्टर 63 थाने और राजस्थान के उद्योग नगर सीकर थाने में मुकदमे दर्ज है. दोनों के खिलाफ हैदराबाद के सेंट्रल प्राइम स्टेशन में भी प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बैटिंग एक्ट का एक मामला दर्ज बताया गया है. गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों ने बताया कि आरोपी विनोद कुमार और रविंद्र सेठ ट्रेडिंग में मुनाफे का झांसा देकर लोगों से रूपयों का निवेश करवाते थे.

जब लोगों का ज्यादा पैसा जमा हो जाता था तो उसके बाद कंपनी को बंद करके फरार हो जाते थे. इसके बाद कहीं और जाकर नई कंपनी खोलकर ऐसे ही लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. दोनों आरोपियों ने कल्पवृक्ष ट्रेडिंग मास्टर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से नोएडा के सेक्टर 63 में और हॉट सिक्योरिटी लिमिटेड एवं आयुर्वेद इंडिया लिमिटेड नाम से गाजियाबाद में भी ट्रेडिंग की फर्म खोली थी. दोनों ही कंपनियों में इन्होंने लोगों से करोड़ों रुपए का इन्वेस्टमेंट कराया और फिर रकम को लेकर कंपनी बंद कर फरार हो गए.

ऐसे लगाते थे करोड़ों का चूना

दोनों आरोपियों ने मिलकर एक ठगी का सिंडिकेट बनाया था. इस ठगी में विनोद धामा ने शेयर ट्रेडिंग की अमेरिकन कंपनी में कुछ दिनों तक काम किया था जहां पर उसने ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग का काम सीखा था. 2022 में दूसरे आरोपी विनोद ने साथियों के संग मिलकर सेक्टर 63 नोएडा में ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए कल्पवृक्ष ट्रेडिंग मास्टर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड एवं ट्रेडिंग मास्टर नाम से दो कंपनियों को रजिस्टर्ड कराया. इन कंपनियों में मलिक के रूप में विनोद धामा, परवीन धामा और डायरेक्टर के रूप में विनोद धामा और रोहिल खान बनाए गए थे.

लीडर बनाकर देते थे ब्याज

आरोपी विनोद ने ट्रेडिंग मास्टर बोट नितेश नाम के शख्स से ₹500000 में खरीदी थी, इस कंपनी के माध्यम से ऑनलाइन ऑटोमेटिक ट्रेडिंग की जाती थी. इस ठगी के गैंग में रूपयों का निवेश करने पर रुपए निवेश करने वाले लोगों को 10 से 15% ब्याज देने का लालच निवेशकों को दिया जाता था. उन्हीं लोगों में से कुछ लीडर भी बनाए जाते थे जिन लोगों को यह लीडर बनाते थे उन्हें एक टारगेट दिया जाता था जो दूसरे लोगों से उनकी कंपनी में निवेश करने के लिए पैसे लगवाया करते थे. जो लोग उनकी कंपनी में निवेश करते थे उन्हें तीन से चार महीने तक बताया गया ब्याज समय से दिया जाता था. जब मोटी रकम आरोपियों के हाथ आ जाती थी तो यह ऑफिस को बंद करके भाग जाते थे.


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