खबर शहर , ट्रांसपोर्ट नगर हादसा : शासन ने शुरू की जांच, घटिया निर्माण से इमारत ढहने की आशंका, एक और बिल्डिंग सील – INA
ट्रांसपोर्ट नगर हादसे में इमारत का मलबा हटाने का काम सोमवार को भी जारी है। दोपहर को जांच टीमें पहुंची और घटनास्थल का निरीक्षण किया। वहीं, इसी इलाके में लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम ने एक और बिल्डिंग को सील कर दिया है। इसमें दरार आने की सूचना है। हादसे में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई गंभीर घायलों का इलाज चल रहा है।
ट्रांसपोर्टनगर में शनिवार दोपहर बिल्डिंग ढहने के मामले की सचिव गृह की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। इसके सदस्यों ने सोमवार को करीब 50 मिनट तक घटनास्थल पर जांच की। इन्होंने कोई बयान तो नहीं दिया, पर निरीक्षण के दौरान इनकी बातचीत व जांच को लेकर दिए निर्देश से साफ हो गया कि हादसे की बड़ी वजह घटिया व मानक के विपरीत निर्माण है।
दोपहर करीब एक बजे सचिव गृह संजीव गुप्ता, सचिव आवास बलकार सिंह और मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग (भवन) विजय कनौजिया मौके पर पहुंचे। टीम ने पहले सड़क पर खड़े होकर ढही इमारत को देखा। फिर अंदर जाकर जांच की। आपसी चर्चा में कहा कि इमारत की बीच में मजबूती नहीं थी। साइड में ही एल्युमिनियम फ्रेम का स्ट्रक्चर बनाकर और उसमें पतली सरिया डालकर काम चलाया गया। बिल्डिंग का हिस्सा भी अलग-अलग बना।
निरीक्षण में यह भी पता चला कि बिल्डिंग में लिफ्ट लगी थी, जो पास वाली इमारत को भी जोड़ रही थी। टीम ने बिल्डिंग के हर कोने के कॉलम, बीम और ढहे स्ट्रक्चर की फोटोग्राफी कराने के लिए कहा। पास की इमारत के टूटे हिस्से को भी सुरक्षा के लिहाज से तोड़ने के निर्देश दिए।
टीम ने मौजूद स्थानीय थाने के पुलिसकर्मी से सीसीटीवी कैमरों के बारे में भी पूछा। कहाकि आसपास की बिल्डिंगों में लगे सीसीटीवी कैमरों की भी फुटेज देखी जाए, जिससे पता चले कि जिस वक्त बिल्डिंग ढही उस समय क्या हो रहा था। ढही इमारत की डीबीआर का भी पता लगाया जाए। मौके पर मौजूद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को ढही बिल्डिंग के बचे हिस्से से बीम और कॉलम का सैंपल लेने के लिए कहा गया। इमारत में लगे सरिया की भी विस्तृत रिपोर्ट बनाने को कहा। एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार और उप सचिव अतुल कृष्ण सिंह भी मौजूद थे।
मलबे में दबीं दवाएं निकालने को कहा
एलडीए वीसी ने मलबे में बड़ी मात्रा में दबीं दवाओं को देखकर कहा कि ये यहां खराब हो रही हैं। किसी व्यापारी संगठन के प्रतिनिधि को बुलाइए, जिसकी दवाएं हों वो इन्हें निकाल ले। इसके बाद एक व्यक्ति को बुलवाया गया। उससे टीम ने कहा कि अंदर की स्लेप के नीचे दबी दवाएं मत निकलवाएं, ऐसा करने से खतरा हो सकता है। मलबे में दबी दवाएं निकलवा लें।
शिकायत पर भी नहीं करवाई गई मरम्मत
एफआईआर के मुताबिक पुलिस की तफ्तीश में सामने आया कि वहां काम करने वालों को पता चल गया था कि बिल्डिंग जर्जर हो रही है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए उन्होंने इस बारे में बिल्डिंग मालिक को जानकारी दी थी। ये भी कहा था कि इसकी मरम्मत करवा दी जाए, जिससे भविष्य में किसी तरह का कोई खतरा न रहे। पर, मालिक ने मरम्मत नहीं कराई।
आरोप है कि बिल्डिंग मालिक ने किरायेदारों को बरगलाया। उनकी जान जोखिम में डाली। लोगों ने बिल्डिंग मालिक पर भरोसा करके किराये पर ले ली थी। एफआईआर में कहा गया है कि प्रथमदृष्टया ही पता चल जाता है कि निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई थी। बाकी इसकी पुष्टि जांच में होगी। पुलिस उस जांच रिपोर्ट को अपनी विवेचना में भी शामिल करेगी।