यूपी- क्या बेची गई दिल्ली में वक्फ बोर्ड की 100 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी? आरोपों पर मुस्लिम धर्मगुरु ने दी अब सफाई – INA
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के मुगलपुरा इलाके के पीरगैप में हजरत सुल्तान साहब की दरगाह के मुतवल्ली (संरक्षक) और मुस्लिम धर्म गुरु नहीम अली चिश्ती के पर दिल्ली के रहने वाले एक व्यक्ति ने दिल्ली में ओबेरॉय होटल के सामने करोड़ों रुपए की संपत्ति को बेचने का आरोप लगाया है. हालांकि, मुस्लिम धर्मगुरु नहीम अली चिश्ती का कहना है दिल्ली के ओबेरॉय होटल के पास बनी हुई दरगाह से जुड़े हुए लोगों की ओर से उन्हें बदनाम करने की साजिश की गई है और उस जमीन पर कब्जा करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है.
इस संपत्ति को लेकर जब नहीम चिश्ती से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सभी आरोप गलत हैं. वह इस जमीन को मरते दम तक किसी को भी नहीं बचेंगे. यह जमीन 1992 में उन्हें किराए पर वक़्फ़ बोर्ड से मिली थी. 1992 से यह जमीन लगातार नहीम चिश्ती के पास है, 1992 से लगातार इस जमीन का किराया उनके द्वारा जमा करवाया जा रहा है, 500 रुपये सालाना किराए पर यह जमीन उन्हें आवंटित की गई थी.
जमीन की दोबारा जांच कराई गई थी
उन्होंने बताया कि इस जमीन को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता रहे शफीकुर्रहमान बर्क ने जमीन पर किए गए अवैध कब्जे को लेकर आवाज उठाई थी. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस जमीन के मामले पर संज्ञान लिया था और इसके बाद वहां मौजूद अवैध कब्जे पर बुल्डोजर चला था. इसके बाद इस पूरी जमीन की दोबारा जांच कराई गई थी. जांच के बाद से यह जमीन नहीम चिश्ती के पास है. इसके तमाम दस्तावेज नहीम चिश्ती के पास मौजूद हैं. ऐसे में नहीम चिश्ती ने उनके ऊपर लगने वाले आरोपों को गलत बताया है.
क्या होती है वक़्फ़ संपत्ति?
इस्लाम धर्म के अनुसार कोई भी मुसलमान अपनी किसी भी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर इंसानियत के फायदे के लिए दान कर देता है, तो उसे वक़्फ़ करना कहते हैं. वक़्फ़ की गई संपत्ति पर किसी का भी मालिकाना हक नहीं होता है. जिस व्यक्ति के द्वारा संपत्ति को वक़्फ़ किया जाता है उसके परिवार से भी इस संपत्ति का कोई मतलब नहीं रहता है. इस्लाम में संपत्ति को दान करने का मकसद आम लोगों को फायदा पहुंचाना होता है.
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