यूपी- यूपी धर्म परिवर्तन मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी समते 16 दोषी करार, आज होगा सजा का ऐलान – INA
उत्तर प्रदेश में एनआईए-एटीएस के स्पेशल कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम समेत 16 आरोपियों को दोषी करार दिया. वहीं, एक आरोपी इदरीस कुरैशी को हाई कोर्ट से स्टे मिल गया है. स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी आज सभी दोषियों को सजा सुनाएंगे.
उत्तर प्रदेश एटीएस का कहना है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी, उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर आलम पूरे देश में अवैध धर्मांतरण का रैकेट चलाते थे. 16 दोषियों को एनआईए एटीएस कोर्ट में 417, 120बी, 153ए, 153बी, 295ए, 121ए, 123 व अवैध धर्मांतरण की धारा 3, 4, व 5 के तहत दोषी पाया गया. आरोपियों को दोषी पाए जाने वाली धाराओं में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है, जिस कारण सभी दोषियों को 10 साल से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.
कोर्ट ने इन्हें ठहराया दोषी
मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम के अलावा अन्य दोषियों में प्रकाश रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम, कौशर आलम, भूप्रिया बंधो उर्फ अरसलान मुस्तफा, फराज बाबुल्लाह शाह, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम काजमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, अब्दुल्ला उमर, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी, धीरज गोविंद राव जगताप और सरफराज अली जाफरी शामिल हैं.
यूपी एटीएस ने सबसे पहले जून 2021 में अवैध धर्मांतरण मामले में एफआईआर दर्ज की थी. बाद में उसी साल सितंबर में जांच के बाद एजेंसी ने सिद्दीकी को मेरठ से गिरफ्तार किया था. एटीएस ने दावा किया था कि वह देश भर में सबसे बड़ा धर्मांतरण सिंडिकेट चलाता है. एटीएस का कहना था कि एक ट्रस्ट में हवाला के जरिए चंदा आता है, जिसे वह खुद ऑपरेट करता था.
बहरीन और खाड़ी देशों से फंड मिला
एटीएस ने यह भी दावा किया कि बहरीन से अवैध रूप से 1.5 करोड़ रुपए और अन्य खाड़ी देशों से 3 करोड़ रुपए का फंड आया. कलीम ने इस्लामिक दावाह सेंटर (IDC) में धर्मांतरण गतिविधियों में उमर और मुफ्ती काजी की मदद की. मौलाना कलीम वलीउल्लाह नाम से एक ट्रस्ट भी ऑपरेट करता था, जो पूरे देश में सामाजिक सद्भाव के नाम पर कार्यक्रम चलाता है, लेकिन इसकी आड़ में धर्मांतरण का रैकेट ऑपरेट होता था. वहीं, ईडी ने भी एटीएस केस के आधार पर जून 2021 में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी और इस्लामिक दावा सेंटर (आईडीसी) के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत मामला दर्ज किया था.
विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह के अनुसार, दोषी साजिश के तहत धार्मिक उन्माद, दुश्मनी और नफरत फैलाकर देश भर में अवैध धर्मांतरण रैकेट चला रहे थे. इनके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भी हैं. इसके लिए हवाला के जरिए विदेशों से पैसा भेजा जा रहा था. वे आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं और विकलांग लोगों को लालच देकर और उन पर दबाव बनाकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करा रहे थे.
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