यूपी – UP: श्याम से बना उमर गौतम… डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ धर्मांतरण में कूदा कलीम; ऐसे बुना जाता था धर्मांतरण का जाल – INA

देशव्यापी धर्मांतरण के मामले में दोषी करार दिया गया माैलाना उमर गौतम मूलत: फतेहपुर के पंथुवा का रहने वाला है। वर्ष 1964 में हिंदू राजपूत परिवार में उसका जन्म हुआ था। तब उसका नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम हुआ करता था। नैनीताल में पढ़ाई के दौरा उसकी मुलाकात बिजनौर जिले के नासिर खान से हुई थी। नासिर की इस्लामिक किताबें पढ़ने के बाद श्याम ने 1984 इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था।

उधर, फुलत के मौलाना कलीम सिद्दीकी ने मेरठ से बीएससी की और एमबीबीएस डाक्टर बनने के लिए सीपीएमटी में 57वीं रैंक हासिल की, लेकिन डॉक्टर की बजाय मौलाना बनकर दीनी तालीम देने लगा। अपना मदरसा बनाया और उसके ट्रस्ट को खाड़ी देशों से तीन करोड़ रुपये की फंडिंग के साथ ही हवाला के जरिये भी खूब धन मिला। 

ढाई दशक में ही फुलत के मदरसे का नाम विदेशों तक पहुंचा। किसान अमीन सिद्दीकी का बेटा कलीम (67) पढ़ने में तेज तर्रार था। उसके भतीजे हकीम जफर महमूद के मुताबिक मेरठ कॉलेज बीएससी के बाद डॉक्टर बनने की बजाय लखनऊ के मदरसे में दीनी तालीम हासिल की और गांव में मदरसे फैजुल इस्लाम में दीनी तालीम देने लगा। 

मौलाना ने 1998 में जामिया इमाम शाह वलीउल्लाह इस्लामिया की नींव रखी तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। उमर ने बाटला हाउस में स्थापित किया इस्लामिक सेंटर : मौलाना उमर गौतम ने पढ़ाई खत्म करने के बाद देश दुनिया में इस्लाम पर व्याख्यान देना शुरू किया। इतना ही नहीं अपनी हिन्दू से मुस्लमान बनने की कहानी सुनाकर वह लोगों को भी इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए कहने लगा। 


धीरे-धीरे उसने दिल्ली के जामिया नगर के बटला हाउस इलाके में इस्लामिक दावा सेंटर का गठन किया है। वर्ष 2021 में उसे एटीएस ने नोएडा से गिरफ्तार किया था। श्याम उर्फ मौलाना उमर गौतम घर से बेदखल होने के बाद अपने गांव नहीं आया।


भागवत से मिला था कलीम, सना के निकाह में उछला नाम
तीन साल पहले मुंबई में राष्ट्र प्रथम राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन में भी मौलाना कलीम सिद्दीकी शामिल हुआ था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात चर्चाओं में रही थी। कुछ दिन बाद ही मौलाना की गिरफ्तारी हो गई थी। चर्चा रही कि अभिनेत्री सना खान का निकाह भी मौलाना कलीम सिद्दीकी ने ही कराया था। मुंबई के कार्यक्रम में केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, तब फुलत मदरसा के निदेशक हजरत मौलाना कलीम सिद्दीकी ने भी शिरकत की थी।
 


ऐसे बुना जाता था धर्मांतरण का जाल
 चरथावल के अमित प्रजापति के धर्मांतरण का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। पीड़ित का कहना था कि मई 2014 में आरोपी फुलत स्थित मदरसे में ले गए, जहां कलीम ने कलमा पढ़वाकर उसका धर्म परिवर्तन कर नया नाम अब्दुल्ला रखा। इसके बाद उसे महाराष्ट्र जमात में ले जाकर नमाज व कलमा पढ़ना सिखाया गया था। वर्ष 2015 में उसे मदरसा देवबंद में उर्दू व अरबी भाषा सीखने के लिए भेजा गया था। अमित इन दिनों सऊदी अरब में रहकर काम कर रहा है। उसका कहना है कि मदरसे में रहने के दौरान उसने देखा कि किस तरह भ्रम जाल बनाया गया है। सीधे-साधे लोगों को बहकाकर लाया जाता था और उन्हें अलग-अलग तरीकों से धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था।
 


धर्मांतरण के सिंडिकेट के खुलासे के बाद यूपी पुलिस पर भी उठे थे सवाल
एनआईए लखनऊ की विशेष अदालत के आदेश के बाद यूपी एटीएस की प्रभावी कार्यवाही और विवेचना को मजबूती मिली है। अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट के 16 अभियुक्तों को अजीवन कारावास और जुर्माने से असमाजिक और राष्ट्र विरोधी तत्वों को सख्त संदेश मिला है।


प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा है कि पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में भी किसी को देश की एकता, अखंडता और धार्मिक समरसता को खंडित करने की अनुमति न दी जाए।


राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हम प्रदेश के हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राष्ट्रीय स्तर के इस सिंडिकेट के खुलासे के बाद पुलिस की कार्रवाई और पार्रदर्शिता पर भी प्रश्न उठाए गए थे। मामले में माननीय न्यायालय के फैसले ने करारा जवाब दिया है। 


धर्मांतरण कराने वाले 12 को उम्रकैद, 4 को 10-10 साल की कैद
उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण समेत अन्य अपराधों के मामले में बुधवार को लखनऊ की एनआईए की विशेष अदालत ने 12 लोगों को उम्रकैद जबकि 4 लोगों को 10-10 साल की सजा सुनाई। अवैध धर्मांतरण के मामले में यह पहला केस है, जिसमें एक साथ 16 लोगों को सजा सुनाई गई है। सभी आरोपियों पर कोर्ट ने 10 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया है।

 


एनआईए के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को धर्मांतरण कराने के सरगना उमर गौतम समेत 16 आरोपियों को इस मामले में दोषी करार देकर बुधवार को सजा सुनाने के लिए तलब किया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक आरोपी मो. इदरीस कुरैशी के मामले में हाईकोर्ट के स्टे के चलते सुनवाई नहीं हुई।


कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के पीड़ित आदित्य गुप्ता और मोहित चौधरी को दो-दो लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। वहीं अन्य पीड़ित नितिन पंत और परेश लीलाधर हारोड़े को एनआईए दिलाने के लिए अपने निर्णय की एक प्रति को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजने का आदेश दिया है।


एटीएस के लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि एटीएस ने 20 जून 2021 को 17 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके चार्जशीट दाखिल की थी। अभियोजन की ओर से कुल 24 गवाहों को कोर्ट में पेश किया जबकि बचाव पक्ष ने अपने बचाव में कुल पांच गवाह पेश किया था। विशेष अभियोजक ने बताया कि सभी आरोपी नौकरी समेत कई तरह का प्रलोभन देकर आपराधिक षडयंत्र के तहत देशव्यापी अवैध धर्मांतरण का गिरोह चलाते थे।


Credit By Amar Ujala

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