खबर शहर , मुरादाबाद में श्रीश्री रविशंकर: परिवार के साथ हों तो अलग रख दें मोबाइल, तनाव प्रबंधन पर बोले आध्यात्मिक गुरु – INA

आजकल आम बात हो गई है कि एक ही कमरे में बैठकर परिवार के चार लोग आपस में बात नहीं करते। सब अपना-अपना मोबाइल चलाने में व्यस्त रहते हैं। अपनी परेशानियां, खुशियां एक-दूसरे से साझा करने में हिचकते हैं। आमने-सामने होते हुए भी पिता-पुत्र के बीच व्हाट्सएप पर चैटिंग होती है। यही तनाव का कारण है।

आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने यह बात सोमवार देर शाम दिल्ली रोड स्थित एक होटल में प्रबुद्ध वर्ग के साथ आयोजित संवाद में कही। उन्होंने तनाव प्रबंधन का उपाय बताते हुए कहा कि जब आप परिवार के साथ हों तब मोबाइल अलग रख दें। दिन में एक बार सब साथ बैठकर भोजन करें।

एक बार सामूहिक प्रार्थना करें। त्योहारों पर साथ मिलकर उत्सव मनाएं। आप जितना अपनों के बीच खुद को खोलेंगे, उतना ही तनाव से दूर रहेंगे। इससे पहले दोपहर में श्रीश्री रविशंकर ने टीएमयू में आयोजित विशेष दीक्षांत समारोह में छात्रों से संवाद किया, जहां उन्हें डीलिट की मानद उपाधि दी गई।

श्रीश्री ने कहा कि लोग शराब को तनाव खत्म करने का साधन मानते हैं, जबकि शराब से तनाव खत्म नहीं होता, जीवन का बाकी सब कुछ खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि विवाह जैसे पवित्र कार्यक्रम में लोग शराब पीते हैं।

खासकर माताओं को यह बात अपनी संतान के मन-मस्तिष्क में बैठा देनी चाहिए कि शराब जहर है। यह पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। आर्ट ऑफ लिविंग ने कालज्ञानी बनाए हैं, जो तनावग्रस्त लोगों की काउंसलिंग कर उन्हें आत्महत्या जैैसे कदम उठाने से रोकते हैं।


जिसे ढूंढ रहे हो वह तुम्हारे भीतर ही बैठा है

श्रीश्री ने कहा कि गौतम बुद्ध से लेकर आदि गुरु शंकराचार्य ने आत्म तत्व की खोज की। सबकी खोज का निष्कर्ष यही रहा कि आत्मा ही परमात्मा है। हम सब उसी का अंश हैं। जिसे हम ढूंढ रहे हैं, वह हमारे भीतर ही बैठा है। संवाद कार्यक्रम के बीच श्रीश्री ने सबको 25 मिनट तक ध्यान कराया।

कहा कि ओमकार शरीर को पवित्र कर देता है। मन विकसित होता है तो शरीर शांत हो जाता है। बाहर से मौन होते हुए भी अंदर से चेतन रहने की कला ही ध्यान है।


ध्यान से उग्रवादियों का भी मन हो सकता है परिवर्तित

श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि ध्यान व ज्ञान ही दो माध्यम हैं जिनसे बुरे से बुरे व्यक्ति का मन परिवर्तित हो सकता है। उन्होंने अंगुलिमाल का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां कृपा होती है, वहां डाकू संत बन जाते हैं।

श्रीश्री ने कहा कि कश्मीर घाटी में तमाम युवाओं का मन आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से परिवर्तित हुआ है। संवाद में मनिका, विभा, महेश अग्रवाल आदि लोगों ने आध्यात्मिक गुरु से सवाल भी पूछे। उन्होंने उत्तर देकर लोगों की जिज्ञासा को शांत किया।


जीवन में पैशन होना जरूरी, पीतल कारोबार ही मुरादाबाद का पैशन

कार्यक्रम में मनिका ने श्रीश्री से प्रश्न किया कि क्या हम अपने कर्मों से अपने परिवार का भाग्य बदल सकते हैं। आध्यात्मिक गुरु ने उत्तर दिया कि बिल्कुल बदल सकते हैं, बस हमारे कर्मों में निरंतरता रहनी चाहिए। कर्म करने के लिए व्यक्ति के अंदर पैशन होना चाहिए।

जैसे मुरादाबाद का पैशन पीतल का कारोबार है, इसके कारण ही यह शहर विश्व में प्रसिद्ध है। पैशन को जिंदा रखना चाहिए, इसके बल पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है।


Credit By Amar Ujala

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