यूपी – Gandhi Jayanti: मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं मस्जिदें गुलामी का चिह्न, गांधी जी ने अपने लेखों में किया था जिक्र – INA

महात्मा गांधी के तार काशी और ज्ञानवापी भी जुड़े हैं। उन्होंने अपने लेखों में कहा था कि मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं मस्जिदें गुलामी के चिन्ह हैं। बिना पूछे किसी की जमीन पर इमारत खड़ी करना सरासर डाकेजनी है। वहीं, एक बार जब श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आए तो ज्ञानवापी की ओर भी गए। भगवान के न मिलने पर उन्होंने कहा था कि मेरा मूड अच्छा नहीं है। इन बातों का जिक्र उनकी एन ऑटो बायोग्राफी, यंग इंडिया और नवजीवन पत्रिका में छपे लेखों में भी है।

पहला जिक्र 

1918-19 की बात है। गांधी जी सुबह-सुबह ट्रेन से बनारस पहुंचे थे। गंगा स्नान और पूजा के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर गए। गांधी जी लिखते हैं कि मैं वहां बहुत दुखी हुआ। रास्ता संकरा था। फिसलन भरी गली और शोर असहनीय था। बहरहाल, गांधी जी दर्शन के बाद ज्ञानवापी के पास पहुंचे। उन्होंने कहा, मैंने यहां भगवान को खोजा, लेकिन वो मुझे नहीं मिले। इसलिए मेरा मूड बहुत अच्छा नहीं था। ज्ञानवापी के आसपास का वातावरण भी मुझे गंदा लगा। मैं दक्षिणा देने को तैयार नहीं था, इसलिए मैंने एक पाई भेंट की। इस पर पंडा क्रोधित हो उठे।


दूसरा जिक्र
पांच फरवरी 1925 को प्रकाशित यंग इंडिया में गांधी जी ने लिखा, किसी की धार्मिक उपासना गृह के ऊपर अपना अधिकार करना जघन्य पाप है। मुगल काल में धार्मिक धर्मांध्ता इतनी ज्यादा थी कि कई हिंदू मंदिरों को मस्जिद बना दी गई। कई अराधना स्थलों पर कब्जा कर लिया गया। हिंदू जहां बराबर राम, कृष्ण, शंकर, विष्णु की पूजा करता चला आ रहा है, कोई उसे तोड़कर मस्जिद बना दे तो वो कैसे सहन करेगा। दाेनों धर्मों के लोगों को आपस में तय कर फैसला कर लेना चाहिए। मुस्लिमों को उदारता पूर्वक हिंदुओं को उनके मंदिरों को दे देना चाहिए।


तीसरा जिक्र
नवजीवन पत्रिका के 27 जुलाई 1937 के अंक में लिखा कि, अगर ‘अ’ यानी हिंदू का कब्जा किसी जमीन पर है और कोई शख्स उस पर कोई इमारत बनाता है, चाहे वह मस्जिद ही क्यों न हो, यह ठीक नहीं है। मस्जिद की शक्ल में खड़ी की गई हर इमारत मस्जिद नहीं हो सकती। वह मस्जिद तभी कही जा सकती है, जब उसमें मस्जिद होने का धर्म संस्कार किया जाए। बिना पूछे किसी की जमीन पर इमारत खड़ी करना सरासर डाकेजनी है। डाकेजनी पवित्र नहीं हो सकती। अ यानी हिंदू चाहे तो अदालत में भी जा सकता है।


क्या बोले जानकार
गांधी जी का काशी से पुराना नाता था। वह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर भी गए थे। दर्शन-पूजन किया था। इसका जिक्र उन्होंने अपनी एन ऑटो बायोग्राफी में भी किया है। ज्ञानवापी के पास दक्षिणा को लेकर पंडों से विवाद भी हुआ था। गांधी जी नाराज भी हो गए थे। -प्रो. हेरंब चतुर्वेदी, इतिहासकार, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी


Credit By Amar Ujala

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