खबर शहर , IIT Kanpur Suicide: सातों दिन…24 घंटे काउंसलिंग, फिर भी ऑल इज वेल नॉट, कैंपस में यह भी कर चुके हैं आत्महत्या – INA

जिस आईआईटी कानपुर में छात्रों के लिए सातों दिन और 24 घंटे काउंसलिंग सेल संचालित हो रहा है, वहीं की छात्रा प्रगति ने किस तनाव के चलते आत्महत्या का कदम उठाया, इसकी जानकारी न तो संस्थान के जिम्मेदारों को है और न ही परिजन ही कुछ बता पा रहे हैं। होने वाली वैज्ञानिक की मौत पर संस्थान की ओर से सिर्फ एक सांत्वना पत्र जारी कर इसे पुलिस जांच का विषय बताया गया है। प्रगति को प्रतिमाह 42 हजार रुपये फैलोशिप के भी मिलते थे।

बता दें कि गुरुवार को जहां एक ओर पूरा विश्च मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर तनाव कम करने के उपायों पर चर्चा कर रहा था, ठीक उसी दिन किस मानसिक तनाव के चलते पीएचडी की छात्रा प्रगति ने किसी मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या कर ली। देखा जाए तो आईआईटी परिसर में आत्महत्या करने वाली प्रगति पहली छात्रा नही हैं। कैंपस में सुसाइड करने का सिलसिला 18 सालों से चला आ रहा है। जान देने वालों में छात्र ही नहीं प्रोफेसर व स्टाफ के भी लोग रहे हैं।


एक माह में तीन लोगों ने की थी आत्महत्या
आईआईटी कानपुर में तनाव के चलते दिसंबर-23 से जनवरी-24 के बीच एक माह में तीन लोगों ने आत्महत्या की है। इसमें एक प्रोजेक्ट मैनेजर और दो छात्र शामिल रहे। 19 दिसंबर 2023 को शोध सहायक स्टॉफ डॉ. पल्लवी चिल्का तो 10 जनवरी 2024 को एमटेक छात्र विकास मीणा और 18 जनवरी 2024 को पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने फंदा लगाकर आत्महत्या की थी।


कैंपस में यह भी कर चुकें हैं आत्महत्या

07 सितंबर 2022– वाराणसी निवासी पीएचडी छात्र प्रशांत सिंह ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
12 मई 2021– संस्थान के असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुरजीत दास ने भी फंदा लगाया था।
09 जुलाई 2020– आईआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रमोद सुब्रमण्यन ने फंदा लगाकर सुसाइड किया।
30 दिसंबर 2019– संस्थान में सिक्योरिटी गार्ड आलोक श्रीवास्तव ने भी फंदा लगाकर जान दी।
19 अप्रैल 2018– फिरोजाबाद निवासी पीएचडी छात्र भीम सिंह ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।


03 जनवरी 2009– एमटेक छात्र जी सुमन ने आत्महत्या की।
30 मई 2008– छात्र टोया चटर्जी ने फंदा लगाकर जान दी।
12 अप्रैल 2008– छात्र प्रशांत कुमार कुरील ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
25 अप्रैल 2007– जे भारद्वाज ने ट्रेन से कटकर जान दी।
03 मई 2006– शैलेश कुमार शर्मा ने फंदा लगाकर जान दी।


अब पीएचडी की छात्रा ने हॉस्टल में दी जान
कानपुर आईआईटी के हॉस्टल में पीएचडी (भू-गर्भ विज्ञान) अंतिम वर्ष की छात्रा ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। गुरुवार सुबह जब काफी देर तक छात्रा ने साथियों का फोन नहीं उठाया तो अनहोनी का शक हुआ। प्रबंधन की सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब छात्रा के कमरे का दरवाजा तोड़ा तो सामने पंखे से रस्सी के सहारे छात्रा का शव फंदे से लटक रहा था। पुलिस व फोरेंसिक ने पूरे कमरे की जांच की। इस दौरान पुलिस को मौके से सुसाइड नोट भी मिला है। एसीपी अभिषेक पांडे ने बताया कि सुसाइड नोट में छात्रा ने खुद को ही अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है।


कमरे से मिले सुसाइड नोट में खुद को बताया मौत का जिम्मेदार
चकेरी के सजारी सनिगवां निवासी गोविंद खरया की बेटी प्रगति (27) आईआईटी के हॉस्टल परिसर में चौथी मंजिल के कमरा संख्या डी-116 में रहकर पीएचडी की तैयारी कर रही थी। पुलिस के मुताबिक गुरुवार सुबह प्रगति अपनी क्लास में नहीं पहुंची, तो उसके साथियों ने उसे फोन किया। काफी देर तक जब फोन रिसीव नहीं हुए और न ही प्रगति के कमरे का दरवाजा खुला तो साथियों ने आईआईटी प्रबंधन को इसकी सूचना दी। इसके बाद कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंची और प्रगति के कमरे का दरवाजा तोड़कर शव को कब्जे में लिया।


परिवार की एकलौती बेटी थी प्रगति
प्रगति के पिता गोविंद शहर की एक प्रतिष्ठित सराफ की फर्म में स्टाक मैनेजर की नौकरी करते हैं। प्रगति के परिवार में मां संगीता, तीन भाई सत्यम, शिवम और सुंदरम हैं। प्रगति परिवार की एकलौती थी। बड़े भाई सत्यम घर से ही स्टेशनरी का काम करते हैं। शिवम राउरकेला स्थित एनटीपीसी में कार्यरत हैं और सुंदरम इनफोसिस में नौकरी करते हैं।


पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर होगी अग्रिम कार्रवाई
परिजनों ने बताया कि प्रगति हाईस्कूल से स्नातक तक टॉपर रही है। उसने बीएससी हंसराज कॉलेज दिल्ली और एमएससी बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से किया था। वह बीते ढाई साल से आईआईटी से भू-गर्भ विज्ञान (जियोलॉजिकल साइंस) से पीएचडी कर रही थी। एसीपी ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला सुसाइड का लग रहा है। परिजनों की तहरीर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर . की कार्रवाई की जाएगी।


Credit By Amar Ujala

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