देश – शुक्र है परिंदे नहीं आए… प्रदूषण में घुट रहा दम, नोएडा के बर्ड सेंचुरी में प्रवासी पक्षियों की संख्या हुई कम- #INA
नोएडा के बर्ड सेंचुरी में प्रवासी पक्षियों की संख्या हुई कम.
सात समंदर पार से आने वाले प्रवासी पक्षियों पर दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर पड़ रहा है. यह प्रवासी पक्षी हर साल बड़ी संख्या में भारत आते हैं और नवंबर महीने से मार्च तक यहां पर प्रवास करते हैं, लेकिन जिस तरीके से दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के आसपास पहुंच गया है, उसकी वजह से इस साल प्रवासी पक्षियों के आने की संख्या में कुछ कमी आई है.
नोएडा के बर्ड सेंचुरी में हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. इनको देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण से वायु गुणवत्ता काफी खराब हुई है, जिसका सीधा असर इंसानों के साथ-साथ जीव-जंतुओं और प्रवासी पक्षियों पर भी पड़ा है. प्रवासी पक्षी कब-कब आते हैं, इस पर वन्य विभाग के अधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले लंबे समय से मैं इसकी जानकारी रख रहा हूं.
प्रवासी पक्षी जब ठंडा मौसम होता है तो साइबेरिया प्रदेशों से और अन्य स्थानों से वह इंडियन सबकॉन्टिनेंट स्थान पर आते हैं. वह पहले अपना प्रवास करते हैं और उसके बाद मैदानी क्षेत्र में आते हैं. लगातार मॉनिटरिंग करने पर यह पता चला है कि इस बार पक्षियों की संख्या में कमी आई है. यह कह पाना थोड़ा मुश्किल होगा कि पंक्षियों में प्रदूषण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि पॉल्यूशन का प्रभाव जो भी प्राणी इनहेल करते हैं, उनमें कुछ न कुछ पड़ता है.
बर्ड सेंचुरी में कहां-कहां से आते हें प्रवासी पक्षी?
प्रवासी पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियां हैं. लगभग 300 प्रजातियां पक्षियों की हैं. साइबेरिया से, मंगोलिया से, चीन से, ऑस्ट्रेलिया एवं अमेरिका सब कॉन्टिनेंट से ये पक्षी यहां आते हैं. गौतम बुद्ध नगर जिले की बात की जाए तो यहां तीन वेटलैंड बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिसमें यह आवागमन करते हैं. प्रवासी पक्षी नवंबर महीने में आना शुरू कर देते हैं और मार्च तक वापस चले जाते हैं.
बर्ड सेंचुरी में घूमने आने वाले पर्यटकों का कहना है कि वह सब प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए आते हैं. बर्ड सेंचुरी में घूमने आए मनीष ने बताया कि यह प्रकृति से भरा हुआ है. यहां विदेशी पक्षी आते हैं. उनको देखने के लिए मैं आता हूं. यहां हर तरह के पक्षी मिलते हैं, जिसमें विदेशी पक्षी ज्यादा मिलते हैं. हरियाली भी ज्यादा है. उसे देखने के लिए हम लोग यहां आते हैं.
पक्षियों पर भी प्रदूषण का असर
मनीष ने बताया कि बर्ड सेंचुरी में पक्षियों पर प्रदूषण का असर पड़ता है, जिस तरीके से हम लोगों को सांस लेने परेशानी होती है, आंखों में जलन होती है, वैसे पक्षियों के लिए भी माहौल अच्छा नहीं होता है. पर्यावरण खराब रहा तो विदेशी पक्षी यहां नहीं आएंगे. उसका असर इन पर भी पड़ता है, फिलहाल तो यहां पर पक्षी आए हुए हैं.
बर्ड सेंचुरी ओखला में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि माइग्रेट बर्ड्स यहां आते हैं, जो अक्टूबर-नवंबर से आना शुरू होते हैं. माइग्रेट बर्ड्स यहां ज्यादा संख्या में आते हैं. साइबेरिया से आते हैं. सारे प्रवासी पक्षी यहां आते हैं. प्रवासी पक्षियों का अधिकतर खाना भी प्राकृतिक मिलता है. प्रवासी पक्षी जो आते है उनका नाम….
- साइबेरियन क्रेन (Siberian Crane)
- फ्लेमिंगो (Flamingo)
- पेलिकन (Pelican)
- गोल्डन प्लोवर (Golden Plover)
- बार-हेडेड गूज (Bar-headed Goose)
- पिनटेल डक (Pintail Duck)
- कॉमन टील (Common Teal)
- रेड-वेग्ड लैपविंग (Red-wattled Lapwing)
- रेडशैंक (Redshank)
- ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट (Black-winged Stilt)
- मार्श हैरियर (Marsh Harrier)
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