खबर शहर , यूपी न्यूज: रुक गया नौ हजार करोड़ का निवेश, 18 हजार नौकरियों पर छाया संकट – INA
मामला फिरोजाबाद की इकाइयों को गैस आपूर्ति का, लेकिन ताज ट्रेपेजियम जोन में शामिल आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, भरतपुर, हाथरस, एटा में नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना और विस्तार पर रोक लग गई। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे टीटीजेड में अगले आदेश तक नए उद्योगों पर रोक लगा दी है। इससे अकेले आगरा में ही 9 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 18 हजार लोगो की नौकरी पर संकट छा गया है।
आगरा में निवेश के लिए 336 कंपनियों ने 2.26 लाख करोड़ रुपये के निवेश के एमओयू प्रदेश सरकार के साथ किए थे। धरातल पर इनमें केवल 9138 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव उतरने के कगार पर थे, जिनसे आगरा के 18 हजार लोगों को रोजगार मिलता। मुख्यमंत्री के ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में निवेश के इन प्रस्तावों को लेकर जमीन की तलाश भी जिला उद्योग केंद्र कर चुका था।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद 9138 करोड़ रुपये की इन नई योजनाओं का शुरू होना मुश्किल है। अरुण गुप्ता की याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निवेशकों में डर है कि कहीं उनकी रकम न फंस जाए।
टीटीजेड में 6 साल तक झेली रोक
ताज ट्रेपेजियम जोन में पर्यावरण मंत्रालय ने साल 2016 से ही नए उद्योगों की स्थापना और विस्तार पर रोक लगा रखी थी, जिसके बाद आगरा के लोगों ने केंद्र और प्रदेश सरकार से पैरवी के बाद इसे साल 2022 में हटवाया। तब नीरी को सेक्टोरियल गाइडलाइन और प्रदूषण स्कोर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कराया गया था। उसी आधार पर व्हाइट कैटेगरी के उद्योगों की सूची तय की गई, जिन्हें टीटीजेड में लगाने की अनुमति दी गई। 6 साल तक रोक झेलने के बाद अब फिर से उद्योगों के सामने स्थापना का संकट आ गया है।
सेमीकंडक्टर बनाने की फैक्टरी जा चुकी
ग्लोबल इनवेस्टर समिट में हांगकांग की कंपनी टाउशिन ग्रुप ने सेमी कंडक्टर बनाने की फैक्टरी लगाने के लिए आगरा में 1500 एकड़ जमीन मांगी थी। यह न मिलने पर 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश आगरा से जेवर (नोएडा) शिफ्ट हो गया। इससे आगरा में 65 हजार लोगों को रोजगार मिलता, जो छिन गया।
सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कराएंगे
लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग ने बताया कि टीटीजेड में अब तक व्हाइट कैटेगरी की प्रदूषण रहित इकाइयों की अनुमति थी, लेकिन एक याचिका में नए उद्योगों पर रोक लगी है। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कराएंगे। प्रदेश सरकार आगरा और टीटीजेड क्षेत्र की मुश्किलों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखेगी।
रोजगार पर खराब असर पड़ेगा
टीटीजेड अथॉरिटी के पूर्व सदस्य उमेश शर्मा ने बताया कि टीटीजेड में न केवल निवेश, बल्कि रोजगार पर भी खराब असर पड़ेगा। प्रयास रहेगा कि सरकार इस मामले में जल्द से जल्द पैरवी करे। इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर समेत अन्य क्षेत्रों में आगरा में बड़ा निवेश होने को था। यह गैस का मामला है। सरकार इस पर सब्सिडी ही खत्म कर दे तो बेहतर रहेगा।
रोक जल्द हटनी चाहिए
नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष मनीष अग्रवाल का कहना है कि औद्योगिक विकास को बड़ा झटका लगेगा। हम फिर से आठ साल पहले वाली स्थिति में आ गए। जनप्रतिनिधियों को इस मामले में सरकार पर दबाव डालना चाहिए ताकि सुप्रीम कोर्ट में टीटीजेड में उद्योग के लिए पैरवी की जा सके। यह रोक जल्द हटनी चाहिए।
केंद्र के साथ समन्वय
नेशनल चैंबर के अध्यक्ष अतुल गुप्ता ने बताया कि नेशनल चैंबर इस मामले में प्रदेश और केंद्र सरकार के साथ समन्वय कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आगरा की पैरवी कराएंगे। दो साल पहले ही एडहॉक मोरोटोरियम हटवाया गया था। अब फिर से लड़ाई लड़नी होगी। तब तक आगरा को निवेश और रोजगार का नुकसान हो जाएगा।
आगरा को नुकसान पहुंचा
उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमन लाल गोयल ने बताया कि आठ साल तक आगरा ने न रोजगार देखा, न निवेश। दूसरे शहर कहां से कहां पहुंच गए। यहां से उद्योग शिफ्ट हो गए। यह फिरोजाबाद की लड़ाई थी, जिससे आगरा को नुकसान पहुंचा है। प्रदेश सरकार को इस मामले में प्रभावी पैरवी करनी चाहिए।
सुने बिना न लिए जाएं निर्णय
नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष भुवेश अग्रवाल का कहना है कि इस तरह की याचिकाएं शहर के विकास को अवरुद्ध कर रही है। आगरा को सुने बिना ऐसे मामले न लिए जाएं। आगरा में जो निवेश की तैयारी कर रहे थे, उन्हें झटका लगा है। टीटीजेड के नाम पर आगरा के उद्योगों को उजाड़ने की यह साजिश लगती है।
सिर्फ पर्यटन और लेदर ही बचा
एटीडीएफ अध्यक्ष संदीप अरोड़ा ने बताया कि सिर्फ पर्यटन और लेदर ही आगरा में बचा है। नए उद्योग नहीं आएंगे तो युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा। यह बुजुर्गों का शहर बनकर रह गया है। आईटी हब, आईएमसी, ग्रेटर आगरा से उद्योगों की स्थापना की नई उम्मीद बंधी थी।