यूपी – Kanpur: किसान मेले के पहले दिन बिके रिकाॅर्ड 30 लाख के बीज, गेहूं के बीज की अधिक रही मांग – INA

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि में गुरुवार को दो दिवसीय भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। शुभारंभ उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह, विवि के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने किया। यहां अनाज व सब्जियों की 53 प्रजातियों के बीज रखे गए। पहले दिन ही रिकाॅर्ड 30 लाख रुपये के बीज बिके। इससे पहले लगे मेलों में पहले दिन अधिकतम 25 लाख के ही बीज बिके हैं। गेहूं के बीज की मांग अधिक रही।

वहीं, मटर, मसूर, सरसों, राई व सब्जियों के बीज भी बिके। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. संजय सिंह ने कहा कि आर्गेनिक खेती की तरफ किसान बढ़ रहे हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन अगर बगल में नॉन आर्गेनिक खेती हो रही है तो इसका फायदा नहीं है। कारण, धरती के भीतर से रसायन रिसकर दूसरे के खेतों में पहुंच रहे हैं। वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के अनुसार नई प्रजातियां विकसित कर रहे हैं। उन्होंने किसानों को नई तकनीक से रूबरू होकर . बढ़ने के लिए प्रेरित किया। यहां प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। वहीं, प्रसार निदेशालय की ओर से लिखित पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। विवि परिसर में स्थित प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को शैक्षिक किट देकर सम्मानित किया गया। मेले का संचालन डॉ. अरविंद कुमार ने किया। मौके पर डॉ. सीएल मौर्या, डॉ. विजय यादव, डॉ. पीके उपाध्याय, डॉ. डीपी सिंह, डॉ. खलील खान आदि मौजूद रहे।


गेहूं की इन प्रजाति के बीजों की रही अधिक मांग
डीबीडब्ल्यू 303 और 187 : मेले में गेहूं की इन दोनों प्रजातियों के बीजों की काफी मांग रही। इन बीजों में कीट कम लगते हैं और उत्पादन अन्य की तुलना में पांच से छह क्विंटल अधिक होता है। इस प्रजाति का उत्तर पश्चिम में अच्छा उत्पादन होता है।
के-1006 : गेहूं की इस प्रजाति में प्रोटीन, जिंक और आयरन की मात्रा अधिक होती है। यह कुपोषण को दूर करने में सहायक है। बिहार और पूर्वांचल में काफी अच्छा उत्पादन होता है। इसमें प्रोटीन, जिंक और आयरन अन्य की तुलना में 10पीपीएम से अधिक होता है।
के-1317 : गेहूं की यह प्रजाति कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। पानी की समस्या से जूझ रहे किसानों के लिए यह वरदान है। पर्यावरण हितैषी होने के साथ अधिक तापमान में भी तैयार हो जाती है।
– मेले में सरसों की सुरेखा, आजाद मैक और पीतांबरी प्रजाति काफी पसंद की गई। देर से बोने पर भी अच्छा उत्पादन देने के साथ इनमें बीमारी कम लगती है।


Credit By Amar Ujala

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