खबर शहर , Diwali 2024: दिवाली 31 अक्तूबर या 1 नवंबर? फंसा हुआ ये पेच, हिंदू, जैन और बुद्धिस्ट ने किया ये तय – INA
दिवाली पर तिथि का पेच बरकरार है। हिंदू और जैन धर्म मानने वाले दो दिन दीया जलाएंगे। बुद्धिस्ट 31 अक्तूबर की रात को दिवाली मनाएंगे। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक दिवाली के लिए प्रदोष व्यापिनी और रात में अमावस्या जरूरी होती है। इस लिहाज से त्योहार 31 अक्तूबर को है।
ज्योतिषाचार्य मनोज पाराशर का कहना है कि कोई भ्रम नहीं है। 31 अक्तूबर की रात ही दीपोत्सव और लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय का कहना है कि दिवाली उदया तिथि से है। उन्होंने बताया कि 31 अक्तूबर और 1 नवंबर दोनों दिन त्योहार है। दोनों दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जा सकता है। दीपक भी जला सकते हैं।
कैलाश मंदिर के महंत गौरव गिरि का कहना है कि दिवाली का त्योहार 1 नवंबर को है। मंदिरों में इसी तारीख की रात दीपोत्सव होगा। अखिल भारतीय शाक्य महासभा के प्रदेश संयोजक कुलदीप कुमार शाक्य का कहना है कि बुद्धिस्ट 31 अक्तूबर की रात दिवाली मनाएंगे। बुद्ध वंदना के साथ ही भिक्षुओं के कल्याण के लिए दान किया जाएगा। जैन धर्म के विद्वान फिरोजाबाद के अनूप चंद जैन एडवोकेट का कहना है कि दो दिन दीप जलेंगे। 31 अक्तूबर को लोकाचार में और 1 नवंबर को निर्वाण महोत्सव पर रोशनी होगी। सुबह मंदिरों में लाडू चढ़ाया जाएगा।
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दीप पर्व : अपनी-अपनी वजह
हिंदू
श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस आए थे। इस खुशी में अयोध्या नगरी को दीपों से रोशन किया गया था। कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मी के जन्म की भी मान्यता है।
जैन
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण कार्तिक की अमावस्या को हुआ था। इसी से जैन धर्म को मानने वाले इस रात दीप जलाते हैं। इसी दिन महावीर स्वामी के प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बुद्धिस्ट
गौतम बुद्ध संबोधि (पूर्ण ज्ञान) प्राप्त कर कार्तिक अमावस्या को कपिलवस्तु वापस आए थे। तभी से अमावस्या की रात दीपक जलाने की परंपरा है। सम्राट अशोक ने इस त्योहार को दीप दानोत्सव नाम दिया था।