खबर शहर , UP: भूख व बीमारी से चार मवेशियों ने तोड़ा दम, छह मरणासन्न, गोवंशों को दफनाने की बजाय घसीटकर जंगल में फेंकवाया – INA

कान्हा गोशाला के चार मवेशियों ने भूख और बीमारी से दम तोड़ दिया। अभी भी छह मवेशी मरणासन्न हैं। पालिका कर्मियों ने मृत गोवंशों को दफनाने की बजाय जंगल में फेंकवा दिया। उधर, पशु चिकित्साधिकारी ने मवेशियों की मौत के लिए पालिका को जिम्मेदार ठहराया है। डीएम को पत्र भी लिखा है।

नगर पालिका की बदौसा रोड पर संचालित कान्हा गोशाला में करीब 250 मवेशी संरक्षित हैं। शासन से हर माह करीब पौने चार लाख रुपये चारा-भूसा, खली, दाना आदि के लिए मिलता है, पर यह कहां जाता है, किसी को पता नहीं है। दो दिन पहले सीडीओ वेद प्रकाश मौर्य ने गोशाला का निरीक्षण किया था तो उन्हें मौके पर भूसा-चारा आदि कुछ नहीं मिला, नहीं मवेशियों से संबंधित कोई अभिलेख व ब्योरा मिला। 14 कर्मचारियों में दस सप्ताह भर से नदारद रहे। दस मवेशी भूख से मरने की कगार पर थे। इसके बावजूद जिम्मेदारों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन बुधवार को चार मवेशियों ने भूख व बीमारी से तड़पकर दम तोड़ दिया। अभी छह मवेशी अंतिम सांसें गिन रहे हैं।


उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एन के गुप्ता ने मौतों के लिए सीधे नगर पालिका को जिम्मेदार ठहराया है। डीएम को पत्र भेजकर कहा है कि पालिका की लापरवाही से यहां गोशाला में भूसा, चूनी, चोकर, नमक और पशु आहार जैसी चीजें नहीं हैं। बुधवार की सुबह डॉ. एनके गुप्ता टीम के साथ पहुंचे, लेकिन उनके पहुंचने के पहले ही चार मवेशियों ने दम तोड़ दिया। गोशाला के कर्मचारी अरविंद और प्रदीप ने मृत मवेशियों को दूर जंगलों में फेंकवा दिया।

 


ड्यूटी पर तैनात रामपाल ने बताया कि बिजली की व्यवस्था न होने से शाम ढलते ही गोशाला में अंधेरा हो जाता है, जिससे जंगली जानवर घुस आते हैं। मृत गोवंशों को खा जाते हैं। दीपावली के समय गोशाला के पांच कर्मचारी छुट्टी पर गए थे, जो आज तक वापस नहीं आए।

गोशाला में लापरवाही की जानकारी मिली है। अधिशासी अधिकारी को तलब किया गया है। गोशाला में व्यवस्थाओं को सुधारने के साथ ही लापरवाह कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। – रावेंद्र सिंह,उपजिलाधिकारी, अतर्रा


Credit By Amar Ujala

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