खबर शहर , Exclusive: 10 सेकंड में पता चलेगी दूध की मिलावट… पेपर का रंग बदलते ही पता चलेगा मिलावटी है मिल्क – INA

अब मात्र दूध की एक बूंद से इसमें मिलावट का पता चल सकेगा। आईआईटी कानपुर से इंक्यूबेटेड स्टार्टअप ई-स्निफ ने ऐसी पेपर किट तैयार की है, जो दूध में मौजूद आठ तरह की मिलावट की जानकारी 10 सेकेंड में दे देगी। डीआरडीओ से पास हो चुकी किट को दिसंबर में बाजार में उतारा जाएगा। 

मिल्ककिट नामक यह किट बड़ी डेयरी के साथ दुकानों पर सहजता से उपलब्ध होगी। डेयरी उद्योग में कई तरह की मिलावट होने पर इसकी पहचान करना काफी मुश्किल रहा है। ई-स्निफ की पेपर किट अब इस समस्या को तत्काल दूर कर देगी। 

स्टार्टअप इंक्यूबेटर प्रदीप द्विवेदी ने आईआईटी की लैब में मिल्क टेस्टिंग पेपर किट तैयार की है। इस किट को बनाने में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की भी मदद ली गई है। पेपर किट दूध में मौजूद यूरिया, डिटरजेंट, स्टार्च, बोरिक एसिड, साबुन, बैक्टीरिया सहित अन्य मिलावट की जानकारी दे देगी।

पेपर की शीट में अगल-अलग रंग के पेपर लगे हैं। शुद्ध और मिलावटी दूध के लिए अलग-अलग पेपर तैयार किए गए। किट में आठ तरह की मिलावट की जांच की जा सकेगी। किट के मध्य में एक बूंद दूध डालने पर 10 सेकेंड के भीतर रंग में बदलाव आएगा। रंग के आधार पर दूध में किस चीज की मिलावट हुई है, इसका पता चल सकेगा।


99 रुपये में 40 बार दूध की जांच
प्रदीप द्विवेदी ने बताया कि 99 रुपये के पैक में पांच पेपर किट होंगी। यानी 99 रुपये में 40 बार दूध की जांच की जा सकती है। यही नहीं किसानों से दूध लेने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए भी यह किट लाभकारी है। कंपनी के लोग दूध लेने के दौरान ही किट से जांच कर सकेंगे। कंपनियों को यह किट मात्र एक रुपये में उपलब्ध होगी। एक किट को एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।
 


पेपर का रंग बदले तो समझो मिलावटी दूध
आईआईटी कानपुर के इंक्यूबेटेड स्टार्टअप ई-स्निफ पेपर किट में एक बूंद दूध डालने पर 10 सेकेंड के अंदर मिलावट का पता चल सकेगा। अगर पेपर ने रंग बदला तो समझिए दूध में मिलावट की गई है।

 


सेना की कैंटीन, मेस में होगा उपयोग 
स्टार्टअप इंक्यूबेटर प्रदीप द्विवेदी ने बताया कि सेना ने टेस्टिंग किट को काफी पसंद किया है। इसे सैनिकों की मेस और कैंटीन में इस्तेमाल किया जाएगा। रिसर्च के दौरान 250 से 300 घरों में दूध की टेस्टिंग हुई। इसमें खुले में बिकने वाले दूध में मिलावट सामने आई है।

 


  • न्यूट्रेलाइजर का इस्तेमाल सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए किया जाता है। जिससे किडनी पर असर आ सकता है। इसकी मिलावट होने से यह लाल रंग का हो जाएगा।
  • डिटरजेंट में मिलावट सफेदी और फेने के लिए होता है। इससे डाइजेस्टिव सिस्टम खराब होता है। यह काले रंग का होगा।
  • हाइड्रोजन पैरोक्साइड सफेदी के लिए होता है। किडनी पर दिक्कत आती है। मिलावट होने पर गाढ़ा भूरा हो जाएगा।
  • बोरिक एसिड का इस्तेमाल दूध को गाढ़ा करने के लिए होता है। उल्टी, डायरिया हो सकता है। मिलावट पर लाल रंग का हो जाएगा।
  • साबुन का इस्तेमाल भी सफेदी के लिए होता है। मिलावट होने पर हरे रंग का हो जाएगा।
  • यूरिया मिलावट दूध को गाढ़ा करने के लिए की जाती है। इससे गैस की दिक्कत होती है। मिलावट होने पर होने पर हरे रंग का हो जाएगा।
  • बैक्टीरिया होने पर भी हरे रंग का हो जाएगा।


Credit By Amar Ujala

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