खबर आगरा: डा. दिनेश चंद राठौर – Bharat Tv News. – INA

-30 फीसदी किसी न किसी तनाव और 30 को ही नींद न आने की दिक्कत-10 को नशे की लत, 15 हैं शक्की और 10 फीसदी पोर्न देखने के आदी-रोज 100 काल आती हैं और 50 का फालोअप, रोज 150 की काउंसलिंग
आगरा। ‘हैलो डाक्टर, मुझे बहुत टेंशन रहती है। नींद नहीं आती, पूरी रात जागकर काटनी पड़ती है। कामकाज खराब हो रहा है। समझ में नहीं आता क्या करूं। ‘ इन दोनों तरह की दिक्कतों से 60 फीसदी लोग जूझ रहे हैं। आगरा का मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के ‘टेली मानस’ हेल्पलाइन पर आने वाले फोन इन्हीं शिकायतों से भरे पड़े हैं।देश भर में करीब 52 टेली मानस केंद्र हैं। आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में बेहद संवेदनशील केंद्र है। इसके लिए देश भर से राष्ट्रीय हेल्पलाइन के टोलफ्री नंबर 14416 पर काल जाती हैं। यहां से मरीज के निकटवर्ती राज्यों/शहरों के केंद्रों में काल ट्रांसफर की जाती हैं। आगरा में भी एक दिन में औसतन 100 काल आती हैं। जबकि केंद्र से 50 लोगों को फालोअप के लिए फोन किया जाता है। इस तरह से रोज 150 मरीजों को परामर्श दिया जा रहा है। इनमें ‘तनाव’ के पीड़ित सर्वाधिक हैं। इनका प्रतिशत 30 है। तनाव के पीछे नौकरी, करियर, आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक कारण सामने आए हैं। इतने ही यानि 30 प्रतिशत की नींद भी उड़ी हुई है। रात में नींद नहीं आती और दिन में काम का बोझ सताता है। ऐसे में कामकाज प्रभावित हो गया है। नौकरी में आला अधिकारियों की डांट खानी पड़ती है। कारोबार ठीक से नहीं चल पा रहा है। रात में जागने से परिवार के सदस्यों पर बुरा असर पड़ रहा है। शक, डर, बेचैनी के मामले तीसरे नंबर पर हैं। करीब 10 फीसदी तनाव से परेशान होकर नशे की गिरफ्त में चले गए हैं। इतने ही लोग मोबाइल, सोशल मीडिया और पोर्न देखने की लत से परेशान हैं।
एक माह में 4500 को परामर्श लोग मानसिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं। तमाम लोग मनो चिकित्सकों के पास जाना नहीं चाहते। बहुत लोगों के पास डाक्टरों को देने के लिए महंगी फीस का प्रबंध नहीं है। ऐसे में टेली मानस केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आगरा का केंद्र हर महीने 4500 मरीजों को राहत दे रहा है। अधिक गंभीर स्थिति लगने पर उसे ओपीडी में बुलाया जाता है। भर्ती करके मुफ्त इलाज किया जाता है।
24 घंटे काम करते हैं 18 लोग केंद्र पर 18 काउंसलर्स की तैनाती है, दो लोग और आने हैं। सभी 24 घंटे सातों दिन काम करते हैं। इन्हें आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में बांटा गया है। अगर कोई मामला काउंसलर से बाहर चला जाता है तो अस्पताल के मनो चिकित्सक केस संभालते हैं। मरीज की असल दिक्कत को समझकर परामर्श देते हैं। करीब 80 फीसदी लोगों को फोन पर काउंसलिंग के जरिए ही राहत मिल जाती है।
30 डाक्टरों को हर माह प्रशिक्षणआगरा के टेली मानस केंद्र सिर्फ मरीजों या पीड़ितों की काउंसलिंग या इलाज ही नहीं करता, अपितु उस पर प्रदेश भर में जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी के डाक्टरों को प्रशिक्षित करने की भी जिम्मेदारी है। हर महीने विभिन्न जिलों से 30 डाक्टरों का दल यहां आता है। संस्थान के विशेषज्ञ इन्हें प्रशिक्षित करते हैं। उनके इलाके का मरीज होने पर संबंधित डाक्टर को केस रैफर किया जाता है।
काल का ट्रेंड 1. तनाव:- 30 प्रतिशत2. नींद न आना:- 30 प्रतिशत3. शक/डर/घबराहट/बेचैनी:-15 प्रतिशत4. नशे का सहारा लेना:- 10 प्रतिशत5. मोबाइल/पोर्न की लत:- 10 प्रतिशत6. आत्महत्या का विचार:- 0.5 प्रतिशत
टेली मानस हेल्पलाइन मानसिक दिक्कतों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद मददगार साबित हो रही है। हमारे केंद्र पर देश भर का बहुत पुराना भरोसा है। इसलिए यहां के विशेषज्ञ और काउंसलर हर केस को बहुत संवेदनशीलता से लेते हैं। फालोअप के तहत रोज मरीजों की प्रगति भी जानी जाती है। स्थानीय मरीजों के लिए ओपीडी और गंभीर मरीजों को भर्ती करके इलाज की भी मुफ्त सु‌विधा है।
डा. दिनेश चंद राठौर, निदेशक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय।

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