यूपी- कर पाएंगे खेल या हैदराबाद तक ही रहेगी ओवैसी की पॉलिटिक्स, AIMIM के लिए गेमचेंजर क्यों है ये चुनाव? – INA

2024 के आखिर में हो रहे झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा के साथ-साथ बिहार-यूपी उपचुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की भी साख दांव पर लगी है. साल के आखिर में हो रहे इन चुनावों में अगर ओवैसी की पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो उसके राष्ट्रीय पार्टी बनने के सपने को बड़ा झटका लगेगा. ओवैसी 2014 से ही अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को हैदराबाद से बाहर विस्तार कराने में जुटे हैं.

यही वजह है कि इस बार कैंपेन से लेकर उम्मीदवार सिलेक्शन तक में ओवैसी ने काफी सावधानियां बरती है. ओवैसी की पार्टी ने उन्हीं सीटों पर इस बार उम्मीदवार उतारे हैं, जहां मुस्लिम गेमचेंजर की भूमिका में है.

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा माथापच्ची

महाराष्ट्र सियासी तौर पर पहला बड़ा राज्य है, जहां पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने हैदराबाद के बाद जीत हासिल की. 2019 में ओवैसी की पार्टी को महाराष्ट्र की औरंगाबाद सीट पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव में उसके 2 विधायक जीतकर सदन पहुंचे.

11.5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले महाराष्ट्र में विधानसभा की कम से कम 40 ऐसी सीटें हैं, जहां मुसलमान एक्स फैक्टर हैं. औरंगाबाद, उस्मानाबाद और मुंबई के कई इलाकों में मुस्लिम ही जीत हार में भूमिका तय करते हैं.

ऐसे में ओवैसी ने यहां विस्तार के लिए बड़ा प्लान तैयार किया था. हालांकि, इस बार उनकी राह आसान नहीं है. लोकसभा चुनाव 2024 में ओवैसी की पार्टी एक सीट जीत नहीं पाई. इसकी वजह मुसलमानों का एकतरफा सियासी मूव था.

विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी की पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल होने की मांग बार-बार करती रही, लेकिन कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने कोई भाव ही नहीं दिया. अब महाराष्ट्र में इमोशनल कार्ड के जरिए ओवैसी के उम्मीदवार जीतने की कवायद में जुटे हैं.

हाल ही में वारिस पठान का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे वोट देने की गुहार के साथ ही फूट-फूटकर रो रहे हैं. वारिस भिवंडी सीट से उम्मीदवार हैं.

यूपी की 2 सीटों पर मैदान में AIMIM

यूपी उपचुनाव में भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी जोर अजमाइश कर रही है. पार्टी 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मोरादाबाद की कुंदरकी पर AIMIM ने प्रत्याशी उतारे हैं. दोनों ही सीटों की चाबी मुस्लिम मतदाताओं के हाथों में है.

ओवैसी दोनों ही जगह फायरब्रांड तरीके से प्रचार कर चुके हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव से ही ओवैसी की नजर उत्तर प्रदेश पर है, लेकिन अब तक देश के सबसे बड़े सूबे में ओवैसी सफल नहीं हो पाए हैं.

यूपी में मुसलमानों की आबादी करीब 20 प्रतिशत है. 2024 के चुनाव में मुसलमानों की एक बड़ी आबादी इंडिया गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो गया, जिसका सीधा नुकसान ओवैसी और उनके सहयोगियों को हुआ.

बिहार में भी लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट

2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को बिहार की 5 सीटों पर जीत मिली थी. 4 विधायक बाद में आरजेडी की तरफ भाग गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में ओवैसी यहां मजबूती से मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई.

विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे 4 सीटों के उपचुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. ओवैसी भी इस सेमीफाइनल की रेस में कूद गए हैं. कहा जा रहा है कि ओवैसी चुनाव से पहले अपनी लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट कराना चाहते हैं.

बिहार में मुसलमानों की आबादी 17 प्रतिशत के करीब है, जो विधानसभा की 50 से ज्यादा सीटों को प्रभावित करते हैं.


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